सारण की छात्रा राजनंदनी ने मैट्रिक परीक्षा में 479 अंक हासिल कर बनी जिला टॉपर

छपरा
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छपरा। बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2024 में सारण जिले से कोई भी छात्र टॉप 10 में जगह नहीं बना सका। हालांकि जिले में बेटियों का प्रदर्शन शानदार रहा। टीएस हाई स्कूल चिरांद की छात्रा राजनंदनी कुमारी ने 479 अंक लाकर जिला टॉपर बनी। उसे 95.6 प्रतिशत अंक मिले। दूसरे स्थान पर दो छात्रों ने संयुक्त रूप से जगह बनाई। विद्या निकेतन हाई स्कूल मारर परसा की स्वीटी कुमारी और हाई स्कूल कैतुका लच्छी के निखिल कुमार को 477 अंक मिले। तीसरे स्थान पर भी दो छात्रों ने संयुक्त रूप से स्थान पाया। एसपीजी हाई स्कूल दाउदपुर की अमृता कुमारी और मुन्नीलाल हाई स्कूल सैद सराय के विक्की कुमार को 476 अंक मिले।

गणित में 98 अंक हासिल की स्वीटी कुमारी:

एक पान दुकानदार की बेटी है। उसने गणित में 98, हिंदी में 94, संस्कृत में 95, विज्ञान में 96 और सामाजिक विज्ञान में 94 अंक हासिल किए। वह आईपीएस बनना चाहती है। अमृता कुमारी मांझी प्रखंड के जैतपुर गांव की रहने वाली है। वह संवेदना प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय सिसवां-दाउदपुर की छात्रा है।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक परीक्षा में अमनौर के छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया है। हरि जी उच्च विद्यालय के तीन छात्रों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाकर विद्यालय और माता-पिता का नाम रोशन किया है। जलालपुर गांव के नितांत कुमार ने 471 अंक यानी 94.02 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उनके पिता रामा शंकर प्रसाद हैं। पंचलख गांव की शिखा कुमारी ने 464 अंक यानी 92 प्रतिशत अंक लाकर परिवार को गौरवान्वित किया। वह मनजीत सिंह की पुत्री हैं। चांदपुरा गांव की साक्षी कुमारी ने 456 अंक यानी 91.2 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उनके पिता शिव कुमार सिंह नियोजित शिक्षक हैं।तीनों छात्र हरि जी उच्च विद्यालय के हैं। विद्यालय की प्राचार्य उषा सिंह, शिक्षक प्रमोद कुमार, राजू और सत्येंद्र सिंह ने छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

सोनपुर बाकरपुर के किसान पुत्र सोलू कुमार ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में 475 अंक हासिल किया है। सोलू सोनपुर के एसपीएस सेमिनरी स्कूल का छात्र है। वह बाकरपुर के जीनीयस कोचिंग सेंटर में रहकर पढ़ाई करता है। उसके पिता छोटेलाल चौधरी किसान हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। सोलू की मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास ने यह साबित कर दिया कि सफलता संसाधनों की मोहताज नहीं होती।