
छपरा। पुलिस एक तरफ पुलिस सप्ताह मनाती है और पुलिस-पब्लिक फ्रेंडली होने की बात कहती है दूसरे तरफ बर्बरता की तस्वीर सामने आ रही है। होली के दिन दिघवारा थाना क्षेत्र के मीरपुर भुआल निवासी व सीआरपीएफ के जवान राधे कृष्ण महतो छुट्टी में आया था। घर के पास ही एक सफाई कर्मचारी को किसी बात को लेकर गश्ती कर रही पुलिस डांट रही थी। रोड से कचरा हटाने के लिए बोल रही थी। पुलिस सफाई कर्मचारी से उलझ रही थी। सीआरपीएफ जवान वहां पर पहुंचे और रोके तो पुलिस बोली तुम कौन होते हो? फिर उलझ गया।
थानेदार का कहना था कि जवान नशे की हालत में आकर पुलिस से उलझ गया और गाड़ी तोड़फोड़ करने लगा तो उसे गिरफ्तार किया गया। जवान को पुलिस गिरफ्तार कर सरकारी कार्य में बाधा डालने और नशे करने के आरोप में जेल भेज दिया। इस गिरफ्तारी के बाद परिजन को पुलिस आधी रात में जाकर परिजनों को उठा ली। निजी कमरे में बंद कर सभी को बेरहमी से पीटा गया है। जिसका साक्ष्य देते हुए मानवाधिकार आयाेग और बिहार पुलिस के डीजीपी समेत मुख्यमंत्री व राष्ट्रपति को भेजा गया है। वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि बेहरमी से पीटा गया है। पुलिस की बर्बरता दिख रही है।




थानेदार बोले– जवान नशे की हालत में पुलिस उसे उलझ गया,कार्य में बाधा डाला
दिघवारा थानाध्यक्ष अंकित कुमार ने बताया कि सीआरपीएफ जवान नशे की हालत में आकर गश्ती कर रही पुलिस से उलझ गया और रोकने पर पुलिस की गाड़ी तोड़फोड़ की। इसलिए कानून हाथ में लेने और नशे करने के आरोप में जेल भेजा गया है। इस बावत थानाध्यक्ष से जब पूछा गया कि जवान के परिजन के साथ पुलिस बर्बरता पूर्वक मारपीट की है तो बताया कि ये हम नहीं जानते है महिला पुलिस लोग बतायेगी। उसके बाद फोन कट कर दिये।
डीआईजी बोले-अभी शिकायत नहीं मिली है,मिलेगी तो जांच होगी
डीआईजी निलेश कुमार की माने तो दिघवारा थानाअंतर्गत इस मामले की जानकारी नहीं मिली है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस विभाग इसकी जांच करेगी।
सीआरपीएफ जवान के परिजन का दर्द…पुलिस आधी रात को घुसी और बेरहमी से पीटी
थाना प्रभारी पर नशे की हालत में सीआरपीएफ के जवान की पत्नी और उसके परिवार के साथ गाली-गलौज, मारपीट और छेड़खानी के गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़िता सरिता देवी ने राज्य मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री बिहार, पुलिस महानिदेशक समेत कई उच्च अधिकारियों को लिखित शिकायत दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि 15 मार्च 2025 को उनके मोहल्ले में होली का आयोजन चल रहा था, तभी दिघवारा थानाध्यक्ष नशे की हालत में पहुंचे और गाली-गलौज करने लगे। जब उनके पति राधे कृष्ण महतो ने समझाने की कोशिश की, तो थानाध्यक्ष और उनके सहयोगियों ने बेरहमी से पिटाई कर दी।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया, घर में घुसकर तोड़फोड़ की और यहां तक कि बच्चों तक को नहीं बख्शा। 16 मार्च की सुबह तक उनके पति को गंभीर हालत में छोड़ दिया गया, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि 17 मार्च की रात थानाध्यक्ष फिर उनके घर में जबरन घुसे और मोबाइल फोन छीन लिया। उन्होंने मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो और उन्हें न्याय मिले। यह मामला पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
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