
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सुशासन और विकास की नीति का परिणाम है कि बिहार की अर्थव्यवस्था ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में नई ऊंचाई हासिल की है। उप मुख्यमंत्री और सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि राज्य की विकास दर 8.64 प्रतिशत रही, जबकि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 4.89 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 5.31 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
औद्योगिक क्रांति से आर्थिक छलांग
पहली बार औद्योगिक क्षेत्र ने कृषि को पीछे छोड़कर बिहार की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया है। यह औद्योगीकरण, निवेश-प्रोत्साहित नीतियों और सुशासन का प्रमाण है। निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में 11% की वृद्धि, जबकि सेवाक्षेत्र 8.9% और परिवहन और संचार क्षेत्र में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सरकार की वित्तीय अनुशासन के चलते राज्य का राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में आया है। पहले यह 6.2 प्रतिशत था, जो घटकर अब 2.9 प्रतिशत रह गया है।
सुशासन, स्थिर नेतृत्व और विकास की त्रिवेणी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में किए गए संस्थागत सुधार, निवेश को प्रोत्साहित करने वाली रक्षा-नीतियां, जैसी सरकारी परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन इस आर्थिक चमत्कार के पीछे मुख्य कारक रहे हैं। स्थिर और लगातार नेतृत्व, जो लंबे समय तक विकास और सुधार करता रहा हो, जनता के विश्वास को पुष्ट करता है।
नीतीश कुमार की दो दशकों से अधिक की सत्ता में मौजूदगी और निरंतर विकास के प्रयासों ने बैर-बिसात, राजनीतिक स्थिरता और सार्वजनिक विश्वास को मजबूत किया है। इससे जनता चुनावों में उनके पक्ष में वोट देती है।ये तर्क इस बात की पुष्टि करते हैं कि जनता का भरोसा केवल भाषणों व वादों पर नहीं, बल्कि ठोस विकास, सुशासन और स्थिर नेतृत्व पर आधारित होता है। यही कारण है कि बिहार की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में गहरा विश्वास रखती है।
बिहार की यह तेज़ आर्थिक यात्रा न केवल राज्य के आत्मबल, जनशक्ति और नीति-निर्माण के सामंजस्य का परिणाम है, बल्कि यह आनेवाले वर्षों में ‘विकसित बिहार’ के सपने को मूर्त रूप देने का मार्ग प्रशस्त कर रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने विकास की एक नई परिभाषा गढ़ दी है — नीति, निवेश और नवाचार की त्रिवेणी से बिहार आगे भी कई नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।