
छपरा। भोजपुरी सिनेमा के चमकते सितारे अब राजनीति के अखाड़े में एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं। फिल्मों के सेट से शुरू हुई जुबानी तकरार अब राजनीतिक हमलों और धार्मिक टिप्पणियों तक पहुंच गई है। अभिनेता और गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन, आजमगढ़ से पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, और राजद प्रत्याशी खेसारी लाल यादव के बीच बयानबाजी ने भोजपुरी राजनीति में जबरदस्त उबाल ला दिया है।
‘यादव नहीं, यदमुल्ला’ निरहुआ के बयान से सियासी तूफान
विवाद की शुरुआत बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के उस बयान से हुई, जिसमें उन्होंने खेसारी लाल यादव को “नाचने वाला” कहा था। इस पर खेसारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कलाकारों का अपमान किया जा रहा है। इसके बाद रवि किशन ने भी खेसारी पर पलटवार किया और उन्हें ‘असली सनातनी न होने’ की बात कही। यहीं से तकरार ने राजनीतिक रंग ले लिया।
खेसारी ने एक इंटरव्यू में रवि किशन, मनोज तिवारी और निरहुआ पर आरोप लगाया कि सांसद बनने के बाद भी इन लोगों ने जनता के लिए कुछ नहीं किया। इसके जवाब में निरहुआ ने पलटवार करते हुए कहा— “जो व्यक्ति राम मंदिर के विरोध में बोलता है, वह यादव नहीं हो सकता… वह ‘यदमुल्ला’ है।” इस टिप्पणी ने धार्मिक और जातीय दोनों मोर्चों पर बवंडर खड़ा कर दिया। बीजेपी समर्थकों ने निरहुआ के समर्थन में सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया, वहीं राजद समर्थकों ने इसे यादव समाज का अपमान बताया।
‘बाप को मत सिखाइए…’ निरहुआ का करारा जवाब
खेसारी लाल यादव के आरोपों से तिलमिलाए निरहुआ ने कहा, “खेसारी कहते हैं कि रवि किशन, मनोज तिवारी और मैंने कुछ नहीं किया। मैं पूछता हूं कि जब सांसद होकर हम कुछ नहीं कर पाए तो विधायक बनकर वह क्या कर लेंगे?” निरहुआ ने आगे कहा कि भोजपुरी इंडस्ट्री में खेसारी को जो पहचान मिली है, वह उनके जैसे कलाकारों की बदौलत है। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में सलमान खान की फिल्म का मशहूर डायलॉग दोहराया— “बाप को मत सिखाइए बेटा कैसे पैदा किया जाता है।”
खेसारी ने साधा बीजेपी पर निशाना
खेसारी लाल यादव ने हालिया साक्षात्कार में कहा था कि भोजपुरी कलाकारों को केवल मंचीय कलाकार नहीं, बल्कि जनता के प्रतिनिधि के रूप में भी काम करना चाहिए। उन्होंने बीजेपी के तीनों स्टार सांसदों रवि किशन, मनोज तिवारी और निरहुआ पर निशाना साधते हुए कहा कि “जनता ने भरोसा किया, लेकिन उन्होंने क्षेत्र में विकास या भोजपुरी कलाकारों के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया।” उनका कहना था कि वह आम जनता से निकले हैं और राजनीति में आने का उद्देश्य भोजपुरी कलाकारों और समाज की आवाज़ बनना है।
सोशल मीडिया पर तीखी तकरार
तीनों कलाकारों के बयानों ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छेड़ दी है। ट्विटर (एक्स), फेसबुक और यूट्यूब पर इनके समर्थक आमने-सामने हैं। एक ओर राजद समर्थक खेसारी को “जनता का कलाकार” बता रहे हैं, वहीं बीजेपी समर्थक निरहुआ और रवि किशन के बचाव में उतर आए हैं। रवि किशन ने फिलहाल इस विवाद पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके पुराने बयान “खेसारी को सनातन की समझ नहीं है” को लेकर चर्चाएं फिर तेज हैं।
भोजपुरी सिनेमा की राजनीति में नई दरार
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद केवल व्यक्तिगत बयानबाजी नहीं, बल्कि भोजपुरी सिनेमा की राजनीति में वर्चस्व की लड़ाई भी है। तीनों ही कलाकार उत्तर भारत के बड़े जनाधार वाले चेहरे हैं, जिनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं अब टकराव के मोर्चे पर पहुंच गई हैं। मनोज तिवारी और रवि किशन पहले से बीजेपी में स्थापित हैं, निरहुआ को भी पार्टी ने बड़ा मंच दिया है, जबकि खेसारी लाल यादव राजद के टिकट से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस विवाद ने भोजपुरी इंडस्ट्री की एकजुटता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि यह लड़ाई यहीं थमती है या चुनावी मंच तक पहुंचकर नया मोड़ लेती है।



