अब अलमारी नहीं, मोबाइल में मिलेगा जमीन के कागजात! 1908 से अब तक के जमीन दस्तावेज मिलेंगे एक क्लिक पर
5 करोड़ से अधिक पुराने निबंधित दस्तावेज तेजी से हो रहे डिजिटल

पटना। बिहार में जमीन-जायदाद से जुड़े करोड़ों पुराने दस्तावेजों को अलमारियों से निकालकर मोबाइल और कंप्यूटर पर उपलब्ध कराने की पहल जारी है। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग सभी पुराने निबंधित अभिलेखों को डिजिटाइज कर रहा है। विभाग लगभग 5 करोड़ 59 लाख से ज्यादा दस्तावेजों को तेजी से ऑनलाइन अपलोड कर रहा है। इनमें पहले चरण के तहत 1990 से 1995 के बीच निबंधित हुए करीब 35 लाख 50 हजार दस्तावेजों को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया जारी है। पहले चरण का 39 फीसदी काम पूरा होने वाला है। शेष दस्तावेजों का डिजिटाईजेशन प्रक्रियाधीन है।
1 करोड़ 52 लाख दस्तावेज स्कैन
इसके साथ-साथ दूसरे और अंतिम चरण के तहत 1908 से 1989 तक के पुराने दस्तावेजों के डिजिटईजेशन का कार्य जारी है। इनकी कुल संख्या लगभग 5 करोड़ 24 लाख है। इनमें से अब तक 1 करोड़ 52 लाख दस्तावेज का पीडीएफ तैयार हो चुका है। इसके बाद इन्हें धीरे-धीरे वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। विभाग का लक्ष्य है कि सभी पुराने दस्तावेज 31 मार्च 2026 तक ऑनलाइन अपलोड कर दिए जाए।
दस्तावेजों को तीन चरणों में किया जा रहा अपलोड
विभाग जमीन संबंधी दस्तावेजों को डिजिटाइज करने के लिए तीन प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है। पहली प्रक्रिया में दस्तावेजों का पीडीएफ तैयार कर दस्तावेज की विवरणी अपलोड की जाती है। अंत में इसे नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाता है। इस पहल के बाद कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपनी जमीन-जायदाद का पुराना दस्तावेज देख और डाउनलोड कर सकेगा। लोगों को पुराने कागजात के लिए निबंधन कार्यालयों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही फर्जीवाड़े और विवादों को भी काफी हद तक रोकने में भी मदद मिलेगी।



