
नेशनल डेस्क। राजस्व बढ़ाने के लिए रेलवे ने नायाब तरीका ढूंढा है। स्टेशन पर अब प्राइवेट डॉक्टर अपना क्लिनिक खोल सकते हैं। इसके लिए स्टेशन परिसर में ही जगह मुहैया कराई जाएगी। बदले में उन्हें शुल्क देना होगा। रेलवे ने टेंडर भी जारी कर दिया है। एमबीबीएस डाॅक्टर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन में सफर करने वाले 95 प्रतिशत यात्री स्वस्थ्य होते हैं। लेकिन पांच प्रतिशत यात्रियों को सिर दर्द या फिर बुखार की शिकायत रहती है। रेल मदद एप में डॉक्टर कॉल अधिक आ रहे हैं, इसलिए ऐसा निर्णय लिया गया है। ज्यादा से ज्यादा डाॅक्टरों को आकर्षित करने के लिए टेंडर प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।




रेलवे के डॉक्टर को अभी 100 रुपए देना होता है शुल्क
वर्तमान में स्लीपर और एसी कोच में यात्रियों की तबीयत बिगड़ रही है। ऐसे में यात्री रेल मदद एप में शिकायत कर रहे हैं। ज्यादातर शिकायतें बुखार, उल्टी, दस्त, ब्लड प्रेसर आदि की आ रही हैं। मरीजों को देखने के लिए रेलवे अस्पताल से डॉक्टर को उपचार के लिए बुलाया जाता है। इसके लिए मरीज को उपचार के बाद 100 रुपए डॉक्टर को देना पड़ता है।
रेल मदद एप में बता सकते हैं परेशानी
रेल मंडल के कमर्शियल कंट्रोल रूम में रेल मदद 24 घंटे संचालित हो रहा है। यात्रियों को मेडिकल व अन्य आवश्यक सहायता, यात्री सुविधाओं से संबंधित, सुरक्षा, लगेज, पार्सल, स्टाफ के व्यवहार, ओवरचार्जिंग, खान-पान सेवा जैसी शिकायतों का तत्काल निदान किया जा रहा है। ट्रेन में सफर कर रहे यात्री बीमार पड़ रहे हैं। यही कारण है कि कुछ महीनों से डॉक्टर काॅल की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी मरीजों का उपचार रेलवे के डॉक्टर कर रहे हैं। लेकिन अब स्टेशन पर प्राइवेट डॉक्टर बैठाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।
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