छपरा

Railway News: आत्महत्या के लिए रेलवे ट्रैक पर लेट गया बेटा, माँ की ममता ने रोक दी मौत की ट्रेन

आत्महत्या करने के इरादे से रेलवे ट्रैक पर जाकर लेट गया

छपरा। मातृत्व एक ऐसा भाव है, जो असंभव को भी संभव बना सकता है। मातृ दिवस पर पूर्वोत्तर रेलवे के छपरा-बलिया रेलखंड से जुड़ी एक सच्ची घटना दिल को छू लेने वाली है, जो मां के प्रेम और आस्था की अनोखी मिसाल पेश करती है।

घटना 11 मई 2025 की है। एक पैसेंजर ट्रेन अपने तय रूट पर दौड़ रही थी। जैसे ही ट्रेन दल छपरा स्टेशन पहुंची, अचानक एक महिला दौड़ते हुए प्लेटफॉर्म पर आई। उसकी आंखों में खुशी और दुःख दोनों एक साथ साफ झलक रहे थे। बातों-बातों में उसने जो बताया, वह सुनकर ट्रेन के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट भावुक हो उठे।

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आत्महत्या करने के इरादे से रेलवे ट्रैक पर जाकर लेट गया

महिला ने बताया कि उसका इकलौता बेटा किसी बात से नाराज़ होकर घर से निकल गया था और आत्महत्या करने के इरादे से रेलवे ट्रैक पर जाकर लेट गया था। तभी उसी ट्रैक पर उसी समय तेज़ रफ्तार ट्रेन आ रही थी। परिजनों को भनक लगते ही वे भी दौड़ते हुए ट्रैक की ओर पहुंचे।

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और तभी, जैसे किसी चमत्कार की तरह, ट्रेन उस लड़के के पास पहुंचते ही अचानक रुक गई। मां ने भावुक होकर कहा— “मुझे लगता है कि लोको पायलट महोदय ने ब्रेक लगाकर मेरे बेटे को जीवनदान दे दिया। यह ट्रेन हमारे लिए सिर्फ एक साधन नहीं, भगवान बनकर आई है।”

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खुशी से माँ ने की ट्रेन में पूजा-अर्चना

उस मां की ममता और कृतज्ञता इस कदर उमड़ पड़ी कि वह ट्रेन को पूजने लगी। महज़ दो मिनट के ठहराव में उसने पूजा की, लोको पायलट और गार्ड को प्रसाद भी दिया और फिर आंखों में संतोष और मुस्कान के साथ अपने बेटे के साथ घर लौट गई।

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इस घटना ने यह साबित कर दिया कि मां का प्रेम न सिर्फ जीवन देता है, बल्कि जीवन को बचा भी सकता है।

जिस ट्रेन को हम रोज़मर्रा का हिस्सा मानते हैं, उस दिन वह एक मां के लिए भगवान बन गई। और एक लोको पायलट, जिसने समय रहते ब्रेक लगाया, एक परिवार के लिए देवदूत बन गया।

सारण जिला निवासी ट्रेन के लोको पायलट ने भावुक होते हुए अंत में लिखा “मैं अभागा हूं, क्योंकि मेरे पास मां नहीं है, लेकिन उस दिन उस मां की ममता ने मुझे भी एक बार फिर मां की छांव का एहसास करा दिया।”

News Desk

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