छपरा

रेलवे का आधुनिकीकरण: नदियों के जलस्तर मापने के लगाया गया वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम, SMS से अधिकारियों को मिलेगी जानकारी

छपरा : सुरक्षित एवं संरक्षित ट्रेन संचलन रेलवे की पहली प्राथमिकता है, इसे सुदृढ़ करने के लिए सतत सुधार एवं आधुनिक तकनीकी का समावेश किया जाता है। बरसात के इस मौसम में महत्वपूर्ण पुलों पर नदियों का जलस्तर मापने के लिए इज्जतनगर मंडल के गंगा, यमुना एवं देहवा नदियों पर, लखनऊ मंडल के घाघरा, राप्ती, घाघरा, शारदा, बबई, सरयू, ककरा एवं रोहिन नदियों पर तथा वाराणसी मंडल के गंगा, गंडक, घाघरा, गोमती एवं छोटी गण्डक नदियों पर बने पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाये गये हैं। इस सिस्टम से जलस्तर की जानकारी आटोमेटेड एस.एम.एस. के माध्यम से सम्बन्धित अधिकारी को प्राप्त होती है।

मानसून के दौरान नदियों के जलस्तर की निगरानी हेतु पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न खण्डों पर स्थित 18 महत्वपूर्ण पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाये गये हैं, जिसमें औंड़िहार-वाराणसी खण्ड के मध्य गोमती नदी पर बने पुल संख्या-137, वाराणसी-प्रयागराज के मध्य गंगा नदी पर बने पुल संख्या-111, सलेमपुर-इंदारा के मध्य घाघरा नदी पर बने पुल संख्या-31, छपरा-फेफना के मध्य घाघरा नदी पर बने पुल संख्या-16, नरकटियागंज-कप्तानगंज के मध्य गंडक नदी पर बने पुल संख्या-50, सीवान-भटनी के मध्य छोटी गंडक नदी पर बने पुल संख्या-119, इज्जतनगर-कासगंज के मध्य कछला (गंगा) नदी पर बने पुल संख्या-409, लालकुआं-काशीपुर के मध्य कोसी नदी पर बने पुल संख्या-104, पीलीभीत-भोजीपुरा के मध्य देवहा नदी पर बने पुल संख्या-270, कासगंज-मथुरा के मध्य यमुना नदी पर बने पुल संख्या-554, बढ़नी-गोंडा के मध्य घाघरा नदी पर बने पुल संख्या-151, मनकापुर-अयोध्या धाम के मध्य सरयू नदी पर बने पुल संख्या-18, गोरखपुर-मनकापुर के मध्य ककरा नदी पर बने पुल संख्या-182 एवं राप्ती नदी पर बने पुल संख्या-184, गोरखपुर-आनन्दनगर के मध्य रोहिन नदी बने पुल संख्या-04, नानपारा-दुदवा के मध्य बबई नदी पर बने पुल संख्या-55 एवं दुदवा-मैलानी के मध्य शारदा नदी पर बने पुल संख्या-97 तथा गोंडा-बुढ़वल के मध्य बने पुल संख्या-391 सम्मिलित है।

आधुनिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम के लग जाने से नदियों पर बने रेल पुलों पर वाटर लेवल की सूचना मिलना आसान हो गया है। इस सिस्टम में सोलर पैनल से जुड़ा एक सेंसर होता है, जिसमें एक चिप भी लगी होती है। यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है। प्रतिदिन नियमित अंतराल पर नदियों के जलस्तर की जानकारी सबंधित सहायक मंडल इंजीनियर, सेक्शन इंजीनियर-कार्य एवं सेक्शन इंजीनियर-रेलपथ के मोबाइल नंबर पर एस.एम.एस. के माध्यम से मिल जाती है। फलस्वरूप समय से नदी के जल स्तर की सूचना मिलने पर त्वरित कार्यवाही कर रेलपथ को संरक्षित करना आसान हो जाता है। रेल प्रशासन नित नई तकनीकियों के समावेश से निरन्तर संरक्षा सुधार के पथ पर अग्रसर है।

advertisement

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close