सारण में कुपोषित बच्चों को मिल रहा बेहतर इलाज, पढ़ाई और खेल-कूद की भी व्यवस्था

छपरा
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

छपरा। स्वस्थ शिशु स्वस्थ समाज की रचना करता है। शिशुओं की बेहतर सेहत के लिए और बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कुपोषित बच्चों के लिए सदर अस्पताल में आधुनिक सुविधाओं से लैस पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन किया जा रहा है। इसको लेकर सदर अस्पताल के एसएनसीयू सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीसीएम और बीएमएनई को प्रशिक्षण दिया गया।

सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि पोषण पुर्नवास केंद्र में काफी कम संख्या में बच्चें आ रहें है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि ओपीडी में आने वाले बच्चों की कुपोषण का स्क्रिनिंग करना सुनिश्चित करें और कुपोषित बच्चों को नि:शुल्क एंबुलेंस के माध्यम से एनआरसी में भेजें। ताकि बेहतर उपचार कर कुपोषित बच्चों को सुपोषित किया जा सके। पोषण पुनर्वास केंद्र में शिशु के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी प्रकार की सुविधाएँ होती हैं। आगे सीएस ने कहा कि वीएचएसएनडी साइट पर भी कुपोषित बच्चों की पहचान करें। यहाँ शिशु को कुपोषण मुक्त करने के लिए विभिन्न मानकों के आधार पर नियमित रूप से निगरानी में रखा जाता है।

आवश्यक आहार, चिकित्सकीय परामर्श, दवाएँ, सप्लीमेंट आदि के साथ नियमित स्वास्थ्य जाँच और अपनेपन से शिशु धीरे-धीरे कुपोषण से मुक्त होकर स्वस्थ होता है। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश कुमार के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

सदर अस्पताल में संचालित है 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी सह नोडल पदाधिकारी रमेशचंद्र कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल में 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है। जहां हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। यहां पर भर्ती बच्चों को डॉक्टर की निगरानी में देखभाल किया जाता है। नियमित निगरानी की जाती है। साथ हीं भर्ती बच्चों के खान-पान का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। इसके लिए एफडी कार्यरत है। साथ हीं भर्ती बच्चों के माँ के लिए दीदी के रसोई का शुद्ध और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

उन्होने कहा कि पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों को बेहतर इलाज के साथ मानसिक और बौधिक क्षमता के विकास के लिए अक्षर ज्ञान का बोध भी कराया जाता है। विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती है। प्रतिदिन माँ के साथ जागरूकता बैठक कर पोषण से संबंधित जागरूक किया जाता है। बच्चों की देखभाल के लिए यहां स्टाफनर्स, केयरटेकर व कुक भी उपलब्ध रहते हैं।उन्होंने बताया यहां पर जीरो से 5 साल तक के बच्चों का 15 फीसद वजन बढऩे तक इलाज किया जाता है।

माँ को दिया जाता है प्रोत्साहन :

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश कुमार ने बताया कि सामान्य बच्चों की तुलना में गंभीर अतिकुपोषित बच्चों की मृत्यु का खतरा नौ गुना अधिक होता है। 100 में 80-85 प्रतिशत ऐसे कुपोषित बच्चे पाए जाते हैं जिनका चिकित्सकीय सहायता समुदाय स्तर पर किया जा सकता है। 10-15 प्रतिशत बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों की समय से पहचान कर उनका इलाज करने से कुपोषण के कारण होने वाले बच्चों की मृत्यु को खत्म किया जा सकता है।

पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों के माँ को भी प्रतिदिन 100 रूपये के हिसाब से प्रोत्साहन राशि उनके बैंक अकाउंट में दिया जाता है। साथ हीं कुपोषित बच्चों की पहचान और फॉलोअप करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है। चार बार फॉलोअप करने पर 150 रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस मौके पर सीएस डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डीआईओ डॉ. चंदेश्वर सिंह, एनसीडीओ डॉ. भूपेंद्र सिंह, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम और बीएमएनई मौजूद थे।

पोषण पुनर्वास केंद्र पर दी जाने वाली सेवाएं :

• बच्चों के खेलने की सभी सुविधाएं
• अक्षर ज्ञान का बोध कराना
• बच्चों के देखभाल और खाना खिलाना
• आवश्कतानुसार दवा और पौष्टिक आहार
• साथ रहने वाली माँ को रहने खाने के साथ प्रतिदिन 100 रूपये प्रोत्साहन राशि
• आशा कार्यकर्ताओ को प्रोत्साहन राशि
• रेफर किए गए बच्चों की पुन:जांच कर (सैम) अति-कुपोषित की पहचान करना
• भर्ती किए गए कुपोषित बच्चों की 24 घंटे उचित देखभाल करना
• सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमियों में सुधार हेतु पूरक खुराक देना
• भर्ती कुपोषित बच्चों व उनके माताओं को निर्धारित मीनू के अनुसार भोजन देना तथा इसके लिये अभिभावक से कोई शुल्क नहीं लेना
• मां एवं देखभाल करने वाले को उचित खान-पान, साफ-सफाई के विषय पर परामर्श देना
• पोषण पुनर्वास केंद्र में डिस्चार्ज के बाद हर 15 दिन में 2 माह तक 4 बार फॉलोअप करना