
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि आशा और ममता कार्यकर्ताओं की मानदेय राशि में उल्लेखनीय वृद्धि का निर्णय लिया गया है। अब आशा कार्यकर्ताओं को पूर्व में मिलने वाले 1,000 रुपये की जगह 3,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, वहीं ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 रुपये की जगह 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर विशेष फोकस किया गया। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में आशा एवं ममता कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्हीं के योगदान को सम्मान देने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए आशा और ममता कार्यकर्ताओं ने लगातार जमीनी स्तर पर सराहनीय कार्य किया है। उनके योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसी को ध्यान में रखते हुए उनकी प्रोत्साहन राशि में वृद्धि कर उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है।”
स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगी मजबूती
सरकार को उम्मीद है कि इस निर्णय से न केवल कार्यकर्ताओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि इससे उनका उत्साह भी बढ़ेगा और वे पहले से अधिक जिम्मेदारी के साथ कार्य कर सकेंगी। इसका सीधा असर ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ेगा।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि आशा और ममता कार्यकर्ताओं की भूमिका संस्थागत प्रसव, टीकाकरण, मातृ और शिशु स्वास्थ्य तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की विभिन्न योजनाओं में अत्यंत अहम रही है। सरकार का यह निर्णय इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने में मददगार सिद्ध होगा।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
सरकारी निर्णय के बाद विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पहल का स्वागत किया है। कई संगठनों ने कहा है कि यह बहुत पहले किया जाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। आशा वर्कर्स यूनियन की राज्य इकाई ने भी इस फैसले की सराहना की है।
राज्य सरकार का यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे न केवल लाखों आशा और ममता कार्यकर्ताओं को लाभ मिलेगा, बल्कि बिहार के दूर-दराज के गांवों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के प्रयासों को भी बल मिलेगा। यह एक सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी सराहनीय पहल है, जो जनकल्याण के साथ-साथ महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त बनाती है।