
• सेंटर ऑफ एक्सिलेंस कालाजार वार्ड और जांच का घर का लिया जायजा
• डीएनडीआई संस्था की अंतरराष्ट्रीय टीम पहुंची सारण
• कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर है सारण जिला
छपरा। कालाजार उन्मूलन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभिन्न स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में कालाजार उन्मूलन को लेकर जेनेवा स्वीट्जरलैंड की अंतर-राष्ट्रीय टीम के द्वारा छपरा सदर अस्पताल का निरीक्षण किया गया। टीम में ड्रग्स फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (डीएनडीआई) संस्था की ओर से जेनेवा स्विट्जरलैंड की हेड ऑफ एक्सट्रनल रिलेशन एन्ना, एक्सट्रनल रिलेशन मैनेजर अनुप्रिया, हेड ऑफ ऑपरेशन अमित और आईपीसी कोर्डिनेटर राजकिशोर शामिल थे। टीम के सदस्यों ने सदर अस्पताल स्थित कालाजार वार्ड, सेंटर ऑफ एक्सिलेंस, जांच घर और एमसीएच अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं, कालाजार रोगियों की पहचान, इलाज, और जांच से संबंधित जानकारी इक्कठा की गयी।
जिसमें सारण में कालाजार उन्मूलन के लिए किये जा रहे प्रयास, मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, मरीजों की संख्या, पिछले पांच साल डाटा और डक्यूमेंट की जांच की गयी। साथ जिले के अमनौर सीएचसी में टीम के द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों का क्षमतावर्धन किया गया। कालाजार मरीजों की पहचान, इलाज से संबंधित जानकारी दी गयी। इस दौरान विभिन्न बिंदुओं पर जांच की गयी और आवश्यक सुझाव दिया गया।





कालाजार मरीजों में कमी लाने का प्रयास:
वीडीसीओ अनुज कुमार ने बताया कि सारण जिला कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर है। सारण में सभी प्रखंडों में प्रति दस हजार के जनसंख्या पर 1 मरीज से अधिक नहीं होना चाहिए इससे बरकरार रखा गया है। साथ हीं इसे तीन साल तक सस्टेन भी रखा गया है। सारण जिले के सभी प्रखंडों में एन्डमिसिटी रेट 0.5% से नीचे है। उन्होने बताया कि सारण में पिछले साल 2024 में 60 वीएल और 30 पीकेडीएल के मरीज मिले थे। वहीं इस साल 2025 में 2 वीएल और 2 पीकेडीएल के मरीज मिले हैं। कालाज़ार के मरीजों में कमी लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है ।
संक्रमित बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो संक्रमित बालू मक्खी के काटने से होता है । यह संक्रमित बालू मक्खी कालाजार रोग के कारक परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। यह बालू मक्खी कम प्रकाश वाले, नम जगहों, मिट्टी की दीवारों, मवेशी बांधने के स्थान आदि पर पाए जाते हैं। कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे वह अन्य दूसरे गंभीर रोगों से ग्रसित हो सकते हैं। ज़िले के किसी भी व्यक्ति में कालाजार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसे अनिवार्य रूप से कालाजार की जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी की जानकारी मिल सके। इस मौके पर वीडीसीओ अनुज कुमार, सदर अस्पताल के डॉ हरेंद्र कुमार, लेखा पाल बंटी कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
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