
छपरा। पितृपक्ष के अवसर पर शहर के प्रख्यात चिकित्सक एवं संजीवनी नर्सिंग होम के संस्थापक डॉ. अनिल कुमार ने सेवा और संस्कार का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। अपने दिवंगत पिता की स्मृति में उन्होंने लगातार 15 दिनों तक नि:शुल्क ओपीडी सेवा उपलब्ध कराई। इस अवधि में कुल 936 मरीजों को मुफ्त परामर्श मिला और लगभग ₹93,600 की फीस माफ की गई।
डॉ. कुमार पिछले 18 वर्षों से हर पितृपक्ष पर यह सेवा कार्य कर रहे हैं। उनका मानना है कि “सेवा ही सच्ची श्रद्धांजलि है।” वे अपने पिता के जीवन मूल्यों और सेवा भाव को ही इस कार्य के लिए प्रेरणा मानते हैं। आमतौर पर मात्र ₹100 की न्यूनतम परामर्श शुल्क पर मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. कुमार पितृपक्ष में इसे भी माफ कर देते हैं। उनका दृष्टिकोण चिकित्सा को केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और मानवता की सेवा मानता है।
संजीवनी नर्सिंग होम बनी मानवता की मिसाल
पितृपक्ष के दौरान संजीवनी नर्सिंग होम में रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंचे। नि:शुल्क परामर्श और उपचार मिलने से उन्हें न केवल आर्थिक राहत मिली बल्कि मरीज और डॉक्टर के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत हुआ। संजीवनी नर्सिंग होम के चिकित्सक डॉ. संजू प्रसाद ने कहा “डॉक्टर का कार्य केवल इलाज तक सीमित नहीं होता। अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी, निष्ठा और सांस्कृतिक मूल्यों को निभाना भी उतना ही जरूरी है। पितृपक्ष में डॉ. अनिल की यह पहल पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि है।”
समाज के लिए प्रेरणा
आज जब चिकित्सा क्षेत्र में व्यावसायिकता का दबाव हावी है, ऐसे में डॉ. अनिल कुमार जैसे चिकित्सक उम्मीद की किरण हैं। उनका मानना है “समाज में बदलाव लाने के लिए बड़े साधनों की नहीं, बड़ी सोच और सेवा भाव की ज़रूरत है।” उनकी इस पहल से स्पष्ट होता है कि मरीजों की मुस्कान ही उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है। इस सेवा में संजीवनी नर्सिंग होम के सभी कर्मियों ने भी योगदान दिया।
इनमें स्वेता सिंह, रीता कुमारी, शैलेश कुमार यादव, दुर्गा कुमारी, लक्ष्मण यादव, दसरथ राय, मुन्नी जी और धर्मेन्द्र यादव समेत पूरा स्टाफ शामिल रहा। डॉ. अनिल कुमार की यह सेवा न केवल मानवता की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कर्मों से की गई श्रद्धांजलि शब्दों से कहीं अधिक प्रभावशाली होती है। ऐसे कर्मठ और सेवा भाव से जुड़े चिकित्सक समाज के लिए प्रेरणा हैं।