छपरा। जिले के मशरक प्रखंड क्षेत्र के अलग अलग गांवों में मंदिरों के परिसर अवस्थित पीपल या वट के पेड़ में ज्येष्ठ माह का सोमवती अमावस्या पर्व के अवसर पर महिलाएं सुबह से ही मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए पहुंची। महिलाओं ने पीपल या वट वृक्ष की पूजा कर अपने परिवार की खुशियों के साथ ही पति व पुत्र के दीर्घायु की प्रार्थना की। वही वृक्ष की परिक्रमा कर 108 बार धागा लपेट कर पूजा अर्चना पूरी की।
मशरक के गंडक कालोनी शिव मंदिर, सोनौली,दुरगौली,अरना, कवलपुरा, मदारपुर, चैनपुर, चरिहारा,बंगरा,डुमरसन, कर्ण कुदरिया,सेमरी,नवादा, खजुरी समेत अन्य गांवों में महिलाओं ने पूजा अर्चना की। आचार्य वाचस्पति तिवारी ने बताया कि पीपल या वट अनन्त फल देने वाला माना जाता है। शास्त्रों में इस व्रत का खास महत्व बताया गया है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ता है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है।सोमवती अमावस्या के दिन काल सर्पदोष, पितृदोष और अल्पायु दोष के निवारण के लिए पूजा की जाती है। इस दिन शनि यम और शंकर भगवान की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ (पीपल वृक्ष) प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है।
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