Bihar News: 12 साहित्यकारों और संस्थाओं को CM नीतीश ने दिया हिन्दी सेवी सम्मान
हिन्दी साहित्य की समृद्धि में योगदान देने वाले 12 रचनाकार सम्मानित

पटना। मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में आयोजित हिन्दी सेवी सम्मान एवं पुरस्कार (2023-24) वितरण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अखिल भारतीय स्तर पर चयनित 12 साहित्यकारों एवं संस्थाओं को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने सभी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकारों व संस्थाओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य और स्वस्थ जीवन की कामना की।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी न केवल भारत की संपर्क भाषा है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और एकता की आधारशिला भी है। साहित्यकार और संस्थाएं अपनी रचनाओं और कार्यों से हिन्दी भाषा को निरंतर सशक्त बना रहे हैं।
सम्मानित किए गए साहित्यकार और संस्थाएं
इस अवसर पर निम्नलिखित साहित्यकारों और संस्थाओं को हिन्दी सेवी सम्मान प्रदान किया गया—
पुरस्कार का नाम | सम्मानित व्यक्ति/संस्था | योगदान/कार्य क्षेत्र |
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बाबा साहब अम्बेदकर पुरस्कार | जियालाल आर्य | अनुसूचित जाति/जनजाति की शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास |
बी०पी० मंडल पुरस्कार | डॉ० शिव नारायण | सृजनात्मक लेखन से सामाजिक समरसता को निरूपित करना |
नागार्जुन पुरस्कार | डॉ० महेन्द्र मधुकर | उपन्यास, कविता और आलोचना में विशिष्ट योगदान |
फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार | हृषीकेश सुलभ | आंचलिक कथा लेखन में योगदान |
महादेवी वर्मा पुरस्कार | वंदना राग | हिन्दी साहित्य की समृद्धि में योगदान |
बाबू गंगाशरण सिंह पुरस्कार | डॉ० के० श्रीनिवास राव | अहिन्दी भाषी क्षेत्र में हिन्दी प्रचार-प्रसार |
विद्याकर कवि पुरस्कार | भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता (प्रतिनिधि: घनश्याम सुगला) | अहिन्दी भाषी क्षेत्र में हिन्दी प्रचार-प्रसार |
विद्यापति पुरस्कार | स्मृति शेष कीर्तिनारायण मिश्र (पुत्र अजय मिश्र ने ग्रहण किया) | मिथिलांचल की संस्कृति पर उत्कृष्ट कार्य |
मोहन लाल महतो वियोगी पुरस्कार | डॉ० कृष्ण कुमार सिंह | मगध अंचल की संस्कृति पर उत्कृष्ट पुस्तक |
भिखारी ठाकुर पुरस्कार | श्रीराम तिवारी | भोजपुर अंचल की संस्कृति पर उत्कृष्ट रचना |
डॉ० ग्रियर्सन पुरस्कार | डॉ० इन्द्रकांत झा | मैथिली भाषा पर उत्कृष्ट कार्य |
डॉ० फादर कामिल बुल्के पुरस्कार | डॉ० श्रीभगवान सिंह | हिन्दी भाषा और साहित्य में योगदान |
हार की धरती साहित्यकारों और विद्वानों की
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की धरती साहित्यकारों और विद्वानों की रही है। हिन्दी भाषा की मजबूती और देश की विविधता को एक सूत्र में पिरोने का कार्य इन्हीं रचनाकारों और संस्थाओं ने किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में भी हिन्दी सेवी लगातार भाषा और साहित्य को नई ऊंचाई देंगे।