छपरा में बढ़ रहा चिकेन पॉक्स, ससमय चिकित्सीय प्रबंधन अतिआवश्यक

छपरा
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चिकन पॉक्स यानी चेचक के लक्षणों की पहचान जरूरी: सिविल सर्जन

लहलादपुर के कटेया गांव में चिकेन पॉक्स होने की शिकायत मिलने पर दवा के साथ जांच के लिए लिए गए नमूने: एमओआईसी

शरीर के साथ ही नियमित रूप से घरों की साफ सफ़ाई का रखें ख्याल: डीपीएम

छपरा। गर्मियों के मौसम में होने वाली कुछ ऐसी बीमारियां हैं। जिनके होने से इलाज को लेकर गांव के लोग पूरी तरह से बेचैन हो जाते है। इसी तरह की बीमारियो में चेचक या चिकेन पॉक्स एक ऐसी ही बीमारी है।जिसका ज्यादातर संक्रमण बच्चों के शरीर पर देखने को मिलता है। हालांकि यह वारिसेला- जोस्टर वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी है। लेकिन ससमय चिकित्सीय प्रबंधन नहीं होने से यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकता है। जिस कारण इससे संबंधित अगर किसी को सूचना, जानकारी या बीमारी होने की शिकायत मिलती हैं तो जल्द से जल्द स्थानीय या संबंधित सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों से संपर्क स्थापित कर उसका इलाज करवाया जा सकता है। क्योंकि सभी तरह की जांच या दवा बिलकुल निःशुल्क उपलब्ध है।

चिकन पॉक्स यानी चेचक के लक्षणों की पहचान जरूरी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि चेचक को चिकन पॉक्स के नाम से भी जाना जाता हैं। हालांकि यह बीमारी दो तरह की होती हैं। पहली छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी बड़ी माता यानी बड़ी चेचक के नाम से हम लोग जानते है। क्योंकि इस बीमारी में शरीर के ऊपर लाल रंग के दाने निकल आते हैं, जिनमें खुजली और दर्द दोनों होता है। इसके अलावा इस बीमारी में व्यक्ति को बुखार के अलावा शारीरिक कमजोरी, शरीर में दर्द के साथ ही कुछ भी अच्छा नही लगना जैसी कई अन्य चीजें होती हैं। छोटी चेचक होने में उसके दाने छोटे होते हैं जो कि बीच में से फटते नहीं हैं, बल्कि सीधे सूख जाते हैं। अमूमन छोटी चेचक बच्चों को होती है। वहीं, बड़ी चेचक के समय शरीर पर बड़े दाने होते हैं। जो बीच में से फट जाते और फिर सूखकर इनकी पपड़ी उतर जाती है।

कटेया गांव में चिकेन पॉक्स होने की शिकायत मिलने पर दवा के साथ जांच के लिए लिए गए नमूने: एमओआईसी
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लहलादपुर की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रजनी कुमारी ने कहा कि स्थानीय लहलादपुर प्रखंड के कटेया गांव की सपना कुमारी, आदित्य कुमार, ऋतिका कुमारी, गुड़िया कुमारी और अंकित कुमार को चिकेन पॉक्स होने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद अपने नेतृव में स्वास्थ्य विभाग के कई अन्य लोगों को शामिल कर उक्त गांव का दौरा किया गया। दौरे के बाद चिकेन पॉक्स वाले व्यक्तियों के घर परिवार के लोगों से मिल कर जानकारी ली गई। उसके बाद मरीजों से जांच के लिए रक्त के नमूने लिए गए हैं। साथ ही खाने के लिए विटामिन ए की गोली दी गई। उसके बाद फिलहाल सभी लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके है। हालांकि चेचक या चिकेन पॉक्स बीमारी ठीक होने के लिए सभी प्रकार की दवाएं स्थानीय अस्पताल उपलब्ध है। अगर किसी को इस बीमारी से संबंधित जानकारी हो तो चिकित्सकों से सलाह जरूर लेना चाहिए। ताकि समय पर उसका इलाज किया जा सके।

शरीर के साथ ही नियमित रूप से घरों की साफ सफ़ाई का रखें ख्याल: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के अरविंद कुमार ने बताया कि जिस तरह से हम लोग नियमित रूप से अपने शरीर की सफाई करते हैं ठीक उसी तरह घर की साफ सफाई को लेकर पूरा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि घर के आस पास कूड़े करकट या कचरे का अंबार लगा हुआ रहता है। जिस कारण घर के बच्चें या पशु इसकी चपेट में आ जाते है। लेकिन इन सब से दूर रखते हुए उन्हें संतुलित आहार आहार देने से इस तरह की बीमारी से बचाव किया जा सकता है। हालांकि उन वस्तुओं के संपर्क में आने से भी चेचक फैल सकता है जो वायरस से दूषित हो गए हैं। अतः संक्रमित बच्चों के खिलौने, बिस्तर या कपड़े जो आपके घर में है उस वस्तु को कीटाणुनाशक से साफ कर चेचक को फैलने से रोका जा सकता हैं।

निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
– नाखूनों को छोटा और साफ रखें।
– इसे खरोंचने के बजाय त्वचा को सहलायें या थपथपाएं।
– रात में सूती दस्ताने पहनें।
– ठन्डे या गुनगुने पानी में स्नान करें।
– ढीले, चिकने सूती कपड़े पहनें।