Chhath Puja: ‘मंगीला हम वरदान हे गंगा मइया…’ से गूंजा छपरा स्टेशन, यात्रियों ने कहा— धन्य हो गई यात्रा
रेलवे का अनोखा प्रयोग — उद्घोषणा सिस्टम से छठ गीतों ने छेड़ी भक्ति की तान

छपरा। छठ पर्व की उमंग और भक्ति का रंग इस बार भारतीय रेलवे के प्लेटफॉर्मों पर भी चढ़ गया है। वाराणसी मंडल के छपरा जंक्शन सहित 15 से अधिक रेलवे स्टेशनों की उद्घोषणा प्रणालियों से “मंगीला हम वरदान हे गंगा मइया”, “काँच ही बाँस के बहंगिया” और “पहिले पहिल हम कईनी छठ के बरतिया” जैसे पारंपरिक लोकगीत गूंज रहे हैं। यात्रियों को ट्रेन की सूचना के साथ जब ये गीत सुनाई देते हैं, तो पूरा स्टेशन मानो छठ घाट का स्वरूप ले लेता है।
भारतीय रेल का यह कदम यात्रियों के मन को छूने वाला अनुभव बन गया है। खासकर महिला यात्रियों को इन गीतों को गुनगुनाते हुए देखा जा रहा है। यह पहली बार है जब रेलवे ने अपने स्टेशन उद्घोषणा सिस्टम पर क्षेत्रीय संस्कृति को इस तरह जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है।
रेलवे का अनोखा प्रयोग — संस्कृति और सेवा का संगम
छठ पूजा के दौरान हर साल लाखों लोग बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर लौटते हैं। इस बार रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए 12,000 से अधिक विशेष ट्रेनें और हजारों नियमित ट्रेनों का संचालन किया है। लेकिन इस वर्ष की सबसे बड़ी खासियत स्टेशन उद्घोषणा प्रणाली से बजते छठ के गीत हैं — जो घर लौटते यात्रियों के लिए अपनापन और भावनात्मक जुड़ाव का एहसास कराते हैं।
छपरा, सीवान, थावे, मसरख, गोपालगंज, एकमा, मैरवां, दुरौंधा सहित मंडल के 15 से अधिक स्टेशनों पर यह पहल लागू की गई है। स्टेशन पर पहुंचते ही जब यात्री छठी मइया के भजन सुनते हैं, तो उनके चेहरे पर मुस्कान और आंखों में अपने गांव-घर की याद ताज़ा हो जाती है।
छपरा जंक्शन पर यात्रियों के लिए विशेष इंतज़ाम
छठ पर्व को देखते हुए छपरा जंक्शन पर यात्रियों की सुविधा हेतु अस्थाई यात्री आश्रय स्थल और पैसेंजर होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं। इनमें विद्युत प्रकाश, पंखे, शुद्ध पेयजल, मोबाइल यूटीएस टिकटिंग, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, ट्रेन की जानकारी के लिए जन-संबोधन स्पीकर और वीडियो पैनल की व्यवस्था की गई है।
स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया को वाहन मुक्त रखा गया है ताकि भीड़ के बीच आवागमन में किसी तरह की परेशानी न हो। साथ ही, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और जीआरपी के जवानों को प्लेटफॉर्म और फुटओवर ब्रिज पर तैनात किया गया है ताकि भीड़ प्रबंधन में कोई बाधा न आए।
हर पल पर रेलवे की सघन निगरानी
वाराणसी मुख्य कंट्रोल रूम से वरिष्ठ अधिकारी और पर्यवेक्षक लगातार निगरानी कर रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए विशेष दल तैनात हैं। स्टेशन के सभी प्लेटफॉर्म पर सीसीटीवी कैमरे, सीमांकन और बैरिकेडिंग की गई है। यात्रियों को कतारबद्ध रखने और ATVM/MUTS मशीनों से टिकट निकालने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
रेलवे का यह प्रयास न केवल सुरक्षा और सुविधा को बढ़ाता है, बल्कि यात्री अनुभव में भी एक नया अध्याय जोड़ता है जहां सेवा के साथ संस्कृति की आत्मा भी समाहित है।
लोकगीतों से सजे प्लेटफॉर्म, संस्कृति का जीवंत उत्सव
छठ पर्व को लोकगीतों के बिना अधूरा माना जाता है। महिलाएं समूह में गाते हुए घाटों की ओर जाती हैं — “केलवा के पात पर उगेलन सुरुजदेव” जैसे गीत पूरे वातावरण को भक्ति और उल्लास से भर देते हैं। रेलवे ने इस परंपरा को स्टेशन उद्घोषणा प्रणाली से जोड़कर यह संदेश दिया है कि संस्कृति और आधुनिकता का संगम भारतीय रेल की पहचान है।



