दिल्ली की सियासत में दो बिहारियों की लड़ाई, मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार आमने-सामने

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पटना। तो दिल्ली की सियासत के केंद्र में अब दो बिहारी हैं। यूं कहें तो यहां पर बीजेपी और कांग्रेस में लड़ाई नहीं, दो बिहारियों में फाइट होने वाली है। जब चुनावी रिंग में दो बिहारी उतरेंगे तो सियासी मजा तो आएगा ही, साथ में जमकर बिहारी अंदाज कटाक्ष भी किए जाएंगे। एक भोजपुरिया माटी का लाल है तो दूसरा वहां से है, जिसे लाल सलाम का गढ़ कहा जाता है। यानी दिल्ली में मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार आमने-सामने होंगे। दरअसल, लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने रविवार को दिल्ली में अपने हिस्से की तीन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। पार्टी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को टिकट दिया है। नॉर्थ ईस्ट सीट पर कन्हैया कुमार का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मौजूदा सांसद मनोज तिवारी से है। कन्हैया के आने से इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कन्हैया कुमार अपना पिछला चुनाव भाकपा के टिकट पर बेगूसराय से लड़ा था, जहां उन्हें बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

माना जा रहा है कि बीजेपी को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस ने नॉर्थ ईस्ट सीट पर एक बिहारी के मुकाबले दूसरे बिहारी उतारकर बड़ा सियासी दांव चला है। दरअसल, नॉर्थ ईस्ट सीट का इलाका उत्तर प्रदेश से भी जुड़ा हुआ है। इस इलाके में बिहार, हरियाणा से आए बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। कहा जाता है कि इस इलाके में पूर्वांचल के वोटरों की संख्या भी अच्छी-खासी है। जानकार बताते हैं कि पूर्वांचल और बिहारी वोटरों की संख्या के कारण मनोज तिवारी पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में भारी अंतर से जीते रहे हैं। कहा जा रहा है कि पूर्वांचल, बिहारी वोटों के साथ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट बैंक को अगर मिला दिया जाए तो कन्हैया इस चुनाव में मनोज तिवारी को सीधे चुनौती देने की स्थिति में हैं। यूं कहें तो कन्हैया के चुनावी मैदान में आने से लड़ाई दिलचस्प हो गया है।

बताया जा रहा है कि इस सीट पर कन्हैया कुमार का भी लाभ मिल सकता है। दरअसल, फरवरी 2020 में उत्तरपूर्व के सिलचर, मुस्तफाबाद और बरपेटा में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इन इलाकों में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं। जेएनयू में उमर खालिद और कन्हैया कुमार के बीच दोस्ती सभी ने देखी है। दंगों की साजिश रचने के आरोप में खालिद अभी भी जेल में बंद हैं। माना जा रहा है कि यहां के मुसलमान आबादी कन्हैया कुमार का समर्थन कर सकती है। साथ ही पूर्वांचली वोटर्स भी कन्हैया को सपोर्ट कर सकते हैं।
भोजपुरी गायक से राजनेता बने मनोज तिवारी इस सीट से दो बार से सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आनंद कुमार को हराया था। इस चुनाव में तिवारी को 596,125 वोट मिले और उनका वोट प्रतिशत 45.3 था। जबकि आनंद कुमार को 452,041 वोट मिले और वोट प्रतिशत 34.3 था। वहीं, दूसरे स्थान पर कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल थे। अग्रवाल को 214,792 वोट मिले और उनका वोट प्रतिशत 16.3 था। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मनोज तिवारी दूसरी बार बीजेपी उम्मीदवार थे। इस सीट पर उनका मुकाबला शीला दीक्षित से हुआ था। मोनज तिवारी ने कांग्रेस उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में दिलीप पांडे को उतारा था। हालांकि इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस सिट पर कन्हैया कुमार और मनोज तिवारी के बीच सियासी लड़ाई दिलचस्प होने वाली है।