छपरा

सारण के इस मुखिया ने पेश की मिसाल, निजी खर्च से घोघाड़ी नदी पर बनवाया दिया पुल

जहां सरकार न पहुंची, वहां खुद बना डाली विकास की डगर

छपरा। जहां चाह होती है, वहां राह भी निकल ही आती है — और जब नेतृत्व में नेक इरादा हो, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मशरक प्रखंड अंतर्गत बहरौली पंचायत के मुखिया अजीत सिंह ने, जिन्होंने निजी खर्च पर घोघाड़ी नदी पर पुल निर्माण करवा कर स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी समस्या का समाधान कर दिया है।

समस्या जो वर्षों से थी अनसुनी…

बहरौली पंचायत, जिसकी आबादी करीब दो हजार है, से लगे हुए कवलपुरा पंचायत के बहादुरपुर गांव में उच्च विद्यालय, इंटर कॉलेज और ग्रामीण बैंक जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन इन दोनों गांवों को जोड़ने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं था। बीच में बहने वाली घोघाड़ी नदी ग्रामीणों के लिए एक बड़ी बाधा बन चुकी थी।

बहरौली के लोगों को स्कूल, बैंक या अपने खेतों तक पहुंचने के लिए करीब 4 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी, जिससे न केवल समय और श्रम की बर्बादी होती थी, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों को खास दिक्कत का सामना करना पड़ता था।

advertisement

Gazipur-Ballia Manjhi Expressway: छपरा से दिल्ली तक यात्रा होगी आसान, बन रहा है 132KM लंबा एक्सप्रेस-वे

नागरिक प्रतिनिधियों से लेकर सिस्टम तक हर दरवाज़े पर दी दस्तक…

मुखिया अजीत सिंह ने इस समस्या के समाधान के लिए सांसद, विधायक और एमएलसी से लेकर विभिन्न सरकारी महकमों तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन हर बार आश्वासन मिला, समाधान नहीं। जब हर प्रयास विफल हो गया, तब उन्होंने “जनसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं” की भावना को अपनाते हुए स्वयं अपने निजी खर्च से पुल निर्माण का बीड़ा उठाया।

निजी फंड से हो रहा निर्माण, बदल रही है तस्वीर

आज उस जमीनी सोच और जज़्बे का नतीजा है कि घोघाड़ी नदी पर पुल निर्माण कार्य तेजी से जारी है। इस पुल के तैयार होते ही न केवल बहरौली और बहादुरपुर के लोग सीधा जुड़ जाएंगे, बल्कि आसपास के दर्जनों गांवों को आवागमन में राहत मिलेगी।

यह पुल ना केवल ग्रामीणों के लिए सुविधा का माध्यम बनेगा, बल्कि यह भी साबित करेगा कि विकास के लिए नारे नहीं, नीयत की जरूरत होती है।

Bihar Police: महिला पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के दौरान श्रृंगार की छूट नहीं, झुमका-चूड़ी पहनने पर लगेगी रोक

लोगों की जुबानी:

पुल के पास काम करवा रहे मजदूरों और स्थानीय ग्रामीणों ने खुशी जताते हुए कहा, “अब हमें बैंक जाने, स्कूल पहुंचने या खेत तक जाने के लिए नदी पार नहीं करनी पड़ेगी। यह पुल हमारे लिए विकास की डगर है।”

बुजुर्गों ने कहा, “मुखिया जी ने जो किया है, वह आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं किया। यह पुल पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।”

मुखिया अजीत सिंह बोले

“मैंने सोचा कि अगर सरकार नहीं कर पा रही तो मुझे करना चाहिए। अगर एक पुल दर्जनों गांवों के बच्चों, किसानों, महिलाओं की जिंदगी आसान कर सकता है तो ये खर्च नहीं, सेवा है। यह कार्य जनता के भरोसे का कर्ज चुकाने जैसा है।”

मुख्य तथ्य संक्षेप में

बिंदुविवरण
स्थानबहरौली पंचायत, मशरक प्रखंड, सारण
नदी का नामघोघाड़ी नदी
समस्यापुल नहीं होने से 4 किमी अतिरिक्त दूरी
लाभार्थी क्षेत्रबहरौली, बहादुरपुर सहित दर्जनों गांव
पहलकर्तामुखिया अजीत सिंह
निर्माण की स्थितिकार्य प्रगति पर
फंडिंग स्रोतपूरी तरह निजी खर्च पर

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close