• शिक्षा के साथ-साथ बच्चों में संस्कार जरूरी
• अनुशासन हीं बच्चों को बनाएगा बेहतर इंसान
छपरा। छपरा शहर के बड़ा तेलपा स्थित जेडी सेंट्रल हाईस्कूल का वार्षिकोत्सव बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ आगत अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया, जिससे वातावरण में शुभकामनाओं का संचार हुआ। इस दौरान विद्यालय की छात्राओं ने गीत के माध्यम से अतिथियों का गरिमापूर्ण स्वागत किया, जो सभी के दिलों को छू गया।
कार्यक्रम में विद्यालय के छात्रों और छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सबका मनोरंजन किया। इस अवसर पर एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देखने को मिलीं। विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने नृत्य, संगीत और नाटक के विभिन्न रूपों में अपनी कला का परिचय दिया। खास तौर पर “झांसी की रानी”, “बुगी-बुगी डांस”, “बिहार गौरव गाथा” और “सास-बहू नाटक” जैसी प्रस्तुतियों ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। इन कार्यक्रमों ने जहां कला और संस्कृति की सुंदरता को प्रदर्शित किया, वहीं विद्यालय की सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. हरेंद्र सिंह, प्रो. डॉ. उदय शंकर ओझा और प्रो. डॉ. योगेंद्र प्रसाद यादव ने शिरकत की। इन अतिथियों ने बच्चों के सर्वांगीण विकास पर अपने विचार व्यक्त किए।
संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी
डॉ. हरेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों के समग्र विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों का भी समावेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि “संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है।” वे मानते हैं कि केवल किताबों का ज्ञान ही नहीं, बल्कि बच्चों को अच्छे इंसान बनाने का भी कार्य विद्यालय और शिक्षक का है। सभ्य और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि युवा पीढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाएं।
माता-पिता को बच्चों पर अपने सपनों का बोझ नहीं डालना चाहिए
प्रो. डॉ. उदय शंकर ओझा ने बच्चों के मानसिक दबाव के बारे में बात करते हुए कहा कि माता-पिता को बच्चों पर अपने सपनों का बोझ नहीं डालना चाहिए। उन्होंने बच्चों पर यह दबाव न बनाने की सलाह दी कि परीक्षा में अधिक अंक लाने चाहिए। इसके बजाय, बच्चों को एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
प्रो. डॉ. योगेंद्र प्रसाद यादव ने विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन की भी महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि “अगर बच्चे अनुशासित होंगे, तो वे स्वाभाविक रूप से शिक्षित हो जाएंगे।” उनका मानना था कि अनुशासन बच्चों के जीवन में एक मजबूत नींव तैयार करता है, जो उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
बच्चों को प्रेरित करने और उन्हें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करने का एक बेहतरीन तरीका
विद्यालय के निदेशक धमेंद्र कुमार राय ने कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि इस वार्षिकोत्सव का मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक मंच प्रदान करना था, ताकि वे अपनी छिपी हुई प्रतिभाओं को उजागर कर सकें और अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों को प्रेरित करने और उन्हें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करने का एक बेहतरीन तरीका है। साथ ही, उन्होंने आगत अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर किया और उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की ओर से बच्चों की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई अन्य गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं। इस मौके पर छात्रों ने विभिन्न खेलकूद गतिविधियों में भी भाग लिया और विद्यालय की टीम ने कई पुरस्कार भी जीते।
इस वार्षिकोत्सव ने न केवल बच्चों की कला और संस्कृति के प्रति रुचि को प्रदर्शित किया, बल्कि यह विद्यालय की शैक्षिक और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि बच्चों का सर्वांगीण विकास उनके जीवन को सफल और खुशहाल बनाने में सहायक होता है।
इस मौके पर विद्यालय के प्राचार्य, शिक्षिक-शिक्षिका और अतिथि महिला थानाध्यक्ष श्वेता रानी, मनोज वर्मा संकल्प, विक्की आनंद, श्वेतांक राय पप्पू, राकेश राय, प्रो. अरूण यादव, प्रिंसिपल मनोज कुमार सिंह, शिक्षिका प्रिंसी प्रिया, बबिता सिंह, सीमा कुमारी, नसीम अंसारी, अनिल श्रीवास्तव, प्रतिभा प्रसाद, रूपा सिंह, अल्पा कुमारी, अनिल पाठक, सचिव इंद्रदेव सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
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