छपरा के सर्जन डॉ. विशाल ने 72 वर्षीय बुजुर्ग का त्वचा कैंसर का सफल ऑपरेशन कर त्वचा ग्राफ्टिंग किया

छपरा
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सर्जन है डॉक्टर विशाल

छपरा : 72 वर्षीय बुजुर्ग का त्वचा कैंसर का सफल ऑपरेशन कर त्वचा ग्राफ्टिंग किया गया। छपरा शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अनिल कुमार एवं डॉ संजू प्रसाद के पुत्र डॉ विशाल कुमार सर्जन ने नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सासाराम में त्वचा कैंसर का सफल ऑपरेशन कर त्वचा ग्राफ्टिंग किया गया। डॉ विशाल कुमार ने बताया कि 72 वर्षीय बुजुर्ग त्वचा कैंसर से ग्रसित था जिसका सफल ऑपरेशन किया गया। इसे मेडिकल भाषा में बेसल सेल कार्सिनोमा कहते है बेसल सेल कार्सिनोमा एक प्रकार का त्वचा कैंसर है। बेसल सेल कार्सिनोमा बेसल कोशिकाओं में शुरू होता है – त्वचा के अंदर एक प्रकार की कोशिका जो पुरानी कोशिकाओं के मरने पर नई त्वचा कोशिकाओं का निर्माण करती है। बेसल सेल कार्सिनोमा अक्सर त्वचा पर एक हल्के पारदर्शी उभार के रूप में दिखाई देता है, हालांकि यह अन्य रूप भी ले सकता है। बेसल सेल कार्सिनोमा अक्सर त्वचा के उन क्षेत्रों पर होता है जो सूरज के संपर्क में आते हैं, जैसे कि आपका सिर और गर्दन। माना जाता है कि ज़्यादातर बेसल सेल कार्सिनोमा सूरज की रोशनी से निकलने वाली पराबैंगनी (UV) किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होते हैं।

टीम बनाकर कर किया गया ऑपरेशन :

डॉक्टर विशाल कुमार के नेतृत्व में एक मेडिकल टीम बनाकर ऑपरेशन किया गया जिसमें डॉ विशाल कुमार, डॉ पंकज एवं ओटी असिस्टेंट व अन्य शामिल थे। डॉ विशाल कुमार ने बताया कि इस त्वचा प्रत्यारोपण प्रक्रिया को ऑटोग्राफ्ट कहते हैं। इसमें खराब त्वचा को हटा कर आमतौर पर जांघ, से त्वचा लेकर त्वचा ग्राफ्टिंग किया गया।

उन्होंने बताया कि बेसल सेल कार्सिनोमा तब होता है जब त्वचा की बेसल कोशिकाओं में से किसी एक के डीएनए में उत्परिवर्तन विकसित हो जाता है।

बेसल कोशिकाएँ एपिडर्मिस के निचले भाग में पाई जाती हैं – जो त्वचा की सबसे बाहरी परत होती है। बेसल कोशिकाएँ नई त्वचा कोशिकाएँ बनाती हैं। जैसे-जैसे नई त्वचा कोशिकाएँ बनती हैं, वे पुरानी कोशिकाओं को त्वचा की सतह की ओर धकेलती हैं, जहाँ पुरानी कोशिकाएँ मर जाती हैं और बाहर निकल जाती हैं।