नेशनल डेस्क। रेलवे स्टेशन देश भर में हर दिन लाखों यात्रीगणों का मार्गदर्शन करते हैं, लेकिन उनमें से कुछ स्टेशन ऐसे भी होते हैं जो अपनी विशेषताओं और अजूबेपन के लिए प्रसिद्ध होते हैं। दुनियाभर में कई अनोखे रेलवे स्टेशन हैं, लेकिन भारत में ‘चटरपती शिवाजी महाराज टर्मिनस’ (CSMT) मुंबई इसका एक अच्छा उदाहरण है।
CSMT, पूर्व में ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ के नाम से जाना जाता था, भारतीय स्थापत्यकला का एक अद्वितीय उदाहरण माना जाता है। इसकी शैली विक्टोरियन गोथिक शैली में है और इसकी तस्वीर मुंबई के रेलवे नेटवर्क के साथ गहरी जुड़ी हुई है। यह स्टेशन भारतीय राजनीति, सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कभी विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) के नाम से मशहूर रही है. 1853 में मुंबई (तब बॉम्बे) के बोरीबंदर स्टेशन से ठाणे के लिए पहली यात्री ट्रेन (34 किलोमीटर) दौड़ी थी और इसके बाद यहीं पर 20 जून 1878 को विक्टोरिया टर्मिनस स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू किया गया जो अगले 10 सालों में बनकर तैयार हुआ. विक्टोरिया टर्मिनस का नाम तत्कालीन ब्रिटिश महरानी विक्टोरिया के नाम पर रखा गया. यह उस समय मुंबई में सबसे ज्यादा समय में तैयार होनी वाली इमारत भी थी.
140 साल पहले खर्च हुए थे 16 लाख रुपए
दुनिया के बेहद खूबसूरत टर्मिनस में शुमार किए जाने वाले विक्टोरिया टर्मिनस का डिजाइन ब्रिटिश वास्तुकार एफडब्ल्यू स्टीवंस ने तैयार किया था और यह इमारत 2.85 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. 1878 से लेकर 1888 में इस इमारत का निर्माण कार्य पूरा हुआ.
CSMT को भारतीय स्थापत्यकला विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु द्वारा ‘भारतीय सबसे प्रतिष्ठित रेलवे स्टेशन’ के रूप में भी स्थानांतरित किया गया है। इसकी अद्वितीय शैली और ऐतिहासिक महत्व के कारण, CSMT एक अजूबा और भारतीय रेलवे का गर्व है।
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