बच्चा उल्टा होने की स्थिति में सदर अस्पताल का किया रुख, सिजेरियन के बाद दोनों सुरक्षित
संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के लिए एएनसी के दौरान उसकी पहचान करना बेहद जरूरी
प्रसव से संबंधित मामले को प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है सुदृढ़ीकरण
सदर अस्पताल और सोनपुर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का हुआ सिजेरियन प्रसव
छपरा। शहर के योगिनियां कोठी निवासी सुनील कुमार की 25 वर्षीया पत्नी कृति कुमारी को गर्भावस्था के दौरान लगभग नौ महीने तक परिजनों ने शहर के निजी नर्सिंग होम में दिखाना शुरू कर दिया था। लेकिन अंत में कहा गया कि बच्चा उल्टा है। जिस कारण ऑपरेशन करना पड़ेगा। तभी आपका जच्चा-बच्चा सुरक्षित रह सकता है। इसी को लेकर भय व्याप्त हो गया था, लेकिन इसी बीच एक दोस्त ने सलाह दिया कि जब ऑपरेशन ही कराना है तो सदर अस्पताल में क्यों नही करा रहे हो। क्योंकि सरकारी अस्पताल में हर तरह की व्यवस्था के साथ ही सब कुछ फ्री हो रहा है। लेकिन जब निजी नर्सिंग होम में सिजेरियन कराया जाएगा तो कम से कम 40 हजार से अधिक रुपए खर्च हो सकता है। उसके बाद अंततः सुनील ने सदर अस्पताल का रुख किया और सफलतापूर्वक ऑपरेशन हुआ। उसके बाद जच्चा और बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित है।
संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के लिए एएनसी के दौरान उसकी पहचान करना बेहद जरूरी: डॉ किरण ओझा
इस संबंध में सदर अस्पताल के महिला रोग विशेषज्ञ डॉ किरण ओझा का कहना है कि प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दौरान ही उच्च जोखिम वाला गर्भावस्था (एचआरपी) का पता चल जाता है, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लंबें समय तक प्रसव पीड़ा का नहीं होना, ज्यादा वजन का बच्चा, उच्च रक्तचाप, बच्चा का उल्टा या तिरछा होना, माता का वजन ज्यादा होने की स्थिति, गर्वभस्था के दौरान आराम करने वाली महिलाएं आजकल गर्ववस्था को बीमारी के रूप में लेने लगी है। जिस कारण संस्थागत और सुरक्षित प्रसव नहीं हो रहा है। हालांकि सदर अस्पताल में प्रसव से संबंधित सभी तरह के आवश्यक इंतजाम की शत-प्रतिशत उपलब्धता हर समय रहती है। क्योंकि संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं के अस्पताल पहुंचने के बाद प्रसव कक्ष में कार्यरत विशेषज्ञ महिला रोग विशेषज्ञ, प्रशिक्षित स्टाफ नर्स के अलावा एएनएम या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की टीम द्वारा सभी प्रकार की जांच करने के बाद पहले तो सामान्य प्रसव को प्राथमिकता दिया जाता हैं। लेकिन विशेष परिस्थितियों में जटिल समस्यायों को देखते हुए ऑपरेशन किया जाता हैं। क्योंकि उस परिस्थिति में जच्चा और बच्चा की सुरक्षा को हमलोग प्राथमिकता देते है।
प्रसव से संबंधित मामले को प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है सुदृढ़ीकरण: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत प्रसव को लेकर उसका सुदृढ़ीकरण विभागीय स्तर पर प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाता है। हालांकि इसके लिए विभिन्न स्तरों पर हर संभव प्रयास किया जा रहा हैं। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल होने के कारण हर तरह के लोग अपने परिवार की गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने के लिए आते हैं लेकिन संस्थागत प्रसव नही होने की स्थिति में उन लोगों का महिला रोग विशेषज्ञ द्वारा ऑपरेशन कर जच्चा और बच्चा को सुरक्षित किया जाता है। हालांकि सबसे ज्यादा देर रात्रि को ही सिजेरियन सेवाओं की उपलब्धता पर विशेष रूप से ध्यान रहता है। क्योंकि लोग उस समय जरूरतमंद अभिभावक गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन स्थिति में सदर अस्पताल लाते हैं। जिस कारण स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मी पूरी तरह से मुस्तैद होकर अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन करते हैं।
सदर अस्पताल और एसडीएच सोनपुर में गर्भवती महिलाओं का हुआ सिजेरियन प्रसव: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि स्थानीय सदर अस्पताल में वर्ष 2022- 23 में 523 जबकि 2023- 24 में 311 गर्भवती महिलाओं का ऑपरेशन किया गया है। वहीं अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर में वर्ष 2021- 22 में 22, 2022- 23 में 14 तो 2023- 24 में 50 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन ऑपरेशन के बाद प्रसव कराया गया है। मालूम हो कि सारण जिले में सिजेरियन प्रसव की व्यवस्था सदर अस्पताल छपरा के अलावा अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर में उपलब्ध है। हालांकि जटिल प्रक्रिया से गुजरने के लिए सी सिजेरियन की नौबत आती है। इसके लिए प्रसव पूर्व जांच यानी (एएनसी) के समय ही उच्च जोखिम वाला गर्भावस्था (एचआरपी) का पता चल जाता है। जिसका निदान प्रसव से पहले उपचार द्वारा किया जाता है। हालांकि विशेष परिस्थियों में ही ऑपरेशन कर प्रसव कराया जाता है।
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