हमेशा विवादों में रहने वाला पटना का सबसे बड़ा अस्पताल PARAS हॉस्पिटल के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्रालय की बड़ी कार्रवाई

पटना बिहार
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पटना। हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले पटना के बड़े निजी अस्पताल पारस एचएमआरआई के खिलाफ केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है. केंद्र सरकार ने पारस हॉस्पिटल के इंपैनलमेंट को अगले छह माह के लिए सस्पेंड कर दिया है. पारस अस्पताल को सीजीएचएस पैनल से बाहर निकाल दिया गया है. वैसे इस अस्पताल पर कई आरोप लगते रहे हैं.

लेकिन किसी मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब जाकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह माह के लिए इंपैनलमेंट को सस्पेंड किया है. इस वजह से पारस अस्पताल में अब अगले छह माह तक केंद्र सरकार की योजना के तहत मरीजों का इलाज नहीं हो सकेगा. केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना के अपर निदेशक की तरफ से 12 अप्रैल को यह आदेश जारी किया गया है.

पटना सीजीएचएस के अपर निदेशक अभय कुमार सिंह की तरफ से यह आदेश जारी किया गया है. इनके आदेश में कहा गया है कि केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना ( सीजीएचएस) के तहत पटना के पारस अस्पताल में अगले छह माह तक इलाज नहीं हो पायेगा. पत्र के माध्यम से पारस अस्पताल को यह भी आदेश दिया गया है कि इस योजना के तहत भर्ती मरीजों को सात दिनों के भीतर डिस्चार्ज करें. सात दिन के बाद सरकारी योजना के तहत जारी बिल जांच के घेरे में होंगे. बता दें, सीजीएचएस के तहत केंद्रीय कर्मचारी, पेंशनभोगी एवं उनके परिवार के सदस्य लाभार्थी होते हैं.

बता दें, पटना के परास अस्पताल पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं. कई मामलों में जांच भी हुई, विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक में बवाल मचा, जांच के लिए सदन की कमेटी भी बनी. लेकिन आज तक पारस अस्पताल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हद तो तब हो गई जब पारस अस्पताल में फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर लिया गया था और वह चिकित्सक कई सालों से मरीजों का इलाज कर रहा था. 2023 में ही इस मामले का खुलासा हुआ था. विदेश में मेडिसिन की पढ़ाई कर बिना फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा पास किये ही फर्जी दस्तावेज के आधार पर बिहार मेडिकल काउंसिल से मेडिकल प्रैक्टिस करने या नौकरी करने का सर्टिफिकेट लेने के मामले में पारस अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर मो शमीम फारूखी भी शामिल थे. सीबीआइ ने दिसंबर, 2022 में फर्जी दस्तावेज के आधार पर बिहार मेडिकल काउंसिल से प्रैक्टिस करने व नौकरी करने का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले 19 डॉक्टरों की पहचान की थी. इन सभी के खिलाफ में दिल्ली सीबीआइ ने मामला भी दर्ज किया था. लेकिन इसके बावजूद मो शमीम फारूखी पारस अस्पताल में मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे थे.

अस्पताल को नहीं थी जानकारी
सीबीआइ द्वारा की गयी कार्रवाई में शमीम फारूखी का नाम भी आने की जानकारी पारस अस्पताल को नहीं थी. लेकिन 10 मई 2023 को सीबीआइ की ओर से पारस अस्पताल को जानकारी दी गयी, तो तुरंत ही उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. साथ ही 12 मई को पारस अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ नीतेश कुमार ने शास्त्रीनगर थाने में फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए डॉ शमीम फारूखी के खिलाफ में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.