– 28 दिसंबर से सरयू नदी में चलेगी बोट, कंपनी ने किया ट्रायल
छपरा । यूपी-बिहार के बॉर्डर पर मांझी में पर्यटकों को 28 दिसंबर से लग्जरी बोट से घूमने का मौका मिलने लगेगा। गुरुवार को सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल तथा आई डब्ल्यू ए आई के निदेशक एल के रजक गुरुवार को माँझी के रामघाट पर आयोजित समारोह में विधिवत उदघाटन करेंगे तथा क्रूज को हरी झंडी दिखाएंगे। बताते चलें कि पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु मांझी के प्रसिद्ध रामघाट को 30 करोड़ की लागत से सजाया संवारा जा रहा है। इसी घाट से इस बोट का संचालन होगा, जिसका ट्रायल मंगलवार को निर्माता कंपनी राधाकृष्ण प्राइवेट लिमिटेड ने कर लिया है। कंपनी के अधिकारी कुमार आनंद ने बताया कि फिलहाल बोट का फेयर तय नहीं किया गया है लेकिन जो भी भाड़ा होगा, वह इस लिहाज से होगा कि बाहरी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों को के लिए भी किफायती साबित हो। बोट को जल्द ही घाट मैनेजमेंट को सौंप दिया जाएगा।
महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल के अथक प्रयास के बाद केन्द्र की सरकार ने माँझी के रामघाट को विकसित करने की दिशा में प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी और वह प्रयास सतह पर दिखने लगा है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में माँझी के रामघाट से पर्यटक पटना वाराणसी तथा अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों की यात्रा नदी के रास्ते कर सकेंगे तथा यह जलमार्ग ब्यापार का नया द्वार खोलेगा। नए साल के पहले दिन सैर सपाटा तथा पिकनिक के लिए माँझी का रामघाट वर्षों बाद एकबार फिर से गुलजार होगा।
बर्थडे के लिए कर सकेंगे बुक
कंपनी के एमडी श्रीराम तिवारी ने बताया कि न सिर्फ इस लग्जरी बोट पर लोग घूम सकेंगे, बल्कि बर्थडे, एनिवर्सरी जैसे मौकों के लिए बुक भी कर सकेंगे। यह बोट एक मिनी क्रूज है, जिसमें इस तरह की सारी व्यवस्था दी गई है कि पार्टी की जा सके।
तेजी से चल रहा निर्माण कार्य
मांझी के राम घाट पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। यह वही घाट है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां विसर्जित की गई थीं। घाट को 30 करोड़ रुपये की लागत से इस तरह विकसित किया जा रहा है कि न सिर्फ यूपी-बिहार के लोग आएं, बल्कि विदेशी सैलानी भी आएं। यह सब कुछ भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण की देखरेख में हो रहा है। चिरांद, मांझी जैसे क्षेत्र जलमार्ग के वे हिस्से हैं, जिनसे होकर कई बड़े क्रूज पहले भी गुजर चुके हैं। यहां का जलमार्ग प्राचीन काल से ही काफी विकसित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घाट की प्राकृतिक बनावट नदी के उदगम से अबतक ज्यों की त्यों है इस आधार पर लोग यह भी दावा करते हैं कि भगवान श्रीराम अहिल्या उद्धार के पहले माँझी घाट होकर ही गौतम स्थान होकर पहुँचे थे।
इसी किवदंतियों के मद्देनजर इस घाट को और भी बेहतर किया जा रहा है। मांझी घाट पर अटल स्मृति भवन का भी निर्माण किया जा रहा है, ताकि यहां आने वाले लोगों को याद दिलाया जा सके कि पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियां यहां प्रवाहित हैं। फिलहाल, लोगों को इस घाट के निर्माण कार्य के पूरा होने का इंतजार है।
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