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Soybean Variety: ये हैं सोयाबीन की 5 उन्नत किस्में, प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल मिलेगा उत्पादन

Soybean Variety: ये हैं सोयाबीन की 5 उन्नत किस्में, प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल मिलेगा उत्पादन

Soybean Variety: ये हैं सोयाबीन की 5 उन्नत किस्में, प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल मिलेगा उत्पादन। किसान जून के महीने में खरीफ फसलों की खेती की तैयारी में जुट जाते हैं. खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली मुख्य फसलों में धान के बाद सोयाबीन का नाम आता है. सोयाबीन एक नकदी फसल मानी जाती है और किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई करते हैं. ऐसे में किसान इस समय असमंजस में है, क्योंकि मार्केट में सोयाबीन की कई वैरायटियां आ चुकी है. ऐसे में किसान खरीफ के सीजन सोयाबीन की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

एमएसीएस-1407 (MACS-1407)

वर्तमान में जिस तरह की मौसम की परिस्थितियां सामने आ रही है ऐसे में किसानों को ऐसी किस्म की बीजों का चयन करना चाहिए जो विपरित मौसम की परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती है. ऐसे में सोयाबीन की उन्नत किस्मों की प्रजाति में एमएसीएस-1407 भी शामिल है. यह किस्म उत्तर भारत के वर्षा वाले क्षेत्र के लिए बेहद उपयुक्त होती है. साथ ही यह किस्म कीट प्रतिरोधी किस्म होती है.

जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई का सही समय माना जाता है. उन्नत किस्म एमएसीएस-1407 की खेती मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड,असम सहित उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है. बुवाई के 43 दिन बाद इस पर फूल आने लगते हैं. बुवाई के 104 दिन के बाद यह पक कर तैयार हो जाती है. उन्नत किस्म एमएसीएस-1407 की यह किस्म 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार देती है.

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जेएस-2069 (JS-2069)

सोयाबीन की उन्नत किस्मों की प्रजाति में जेएस-2069 किस्म जल्दी तैयार होने वाली प्रजाति है. इस किस्म की बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इस किस्म को तैयार होने में 85-90 दिनों का समय लगता है. इस बीज से 1 हेक्टेयर में लगभग 22-26 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

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जेएस-2034 (JS-2034)

किसान खरीफ के सीजन सोयाबीन की खेती करके अच्छी उपज पाने के लिए जेएस-2034 किस्म की बुआई एक अच्छा विकल्प है. जेएस-2034 किस्म के इस पौधे के दाने का रंग पीला, फूल का रंग सफेद होता है. यह फसल 80-85 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसे कम वर्षा वाले जगहों में किसान इस किस्म की बुवाई कर बेहतर उत्पादन ले सकते हैं. जेएस 2034 किस्म का उत्पादन 1 हेक्टेयर में करीब 24-25 क्विंटल तक होता है.

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एनआरसी-181 (NRC-181)

फसल से अच्छी उपज पाने के लिए एनआरसी 181 किस्म की बुवाई कर सकते हैं. सोयाबीन की एनआरसी 181 किस्म अधिक उपज देने वाली किस्म मानी जाती है. इस किस्म की खेती भारत के मैदानी क्षेत्रों में की जाती है. ये पीला मोजेक और टारगेट लीफ ऑफ स्पॉट रोग के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म को तैयार होने में 90-95 दिन का समय लगता है और इसका औसत उत्पादन 16-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

बीएस-6124 (BS-6124)

सोयाबीन की फसल से अच्छी उपज पाने के लिए बीएस 6124 की बुवाई कर सकते हैं. सोयाबीन की उन्नत किस्म में बीएस 6124 प्रजाति भी शामिल है. इस प्रजाति के पौधे में बैंगनी रंग के फूल आते हैं. यह किस्म बुवाई के 90 से 95 दिनों में तैयार होने वाली फसल है. जो 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से पैदावार भी देती है. वहीं यह किस्म 21 प्रतिशत तक का तेल उत्पादन भी देती है. जिसके कारण इस किस्म की मांग बाजारों में हमेशा बनी रहती है.

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