
छपरा। बिहार में गंडक नदी की बदलती धारा और बढ़ते जलस्तर से उत्पन्न बाढ़ संकट को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने एक विस्तृत सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। जल संसाधन विभाग जल्द ही नेपाल की सीमा स्थित वाल्मीकिनगर से लेकर सारण जिले के सोनपुर तक गंडक नदी के 225 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में सर्वे करेगा, जो गंडक के गंगा में मिलन स्थल तक फैला हुआ है।
नदी की प्रवृत्ति को समझने की कोशिश
इस सर्वे में नदी की प्रवाह दिशा, मौजूदा स्थिति, तटबंधों की मजबूती, गाद की स्थिति, और नदी पर बने ढांचों का आकलन किया जाएगा। विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 2020 में भी एक सीमित सर्वे किया गया था, लेकिन 2024 की भीषण बाढ़ के बाद व्यापक और तकनीकी रूप से सुदृढ़ सर्वेक्षण की आवश्यकता महसूस की गई।
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2024 की बाढ़ ने मचाई थी तबाही
गौरतलब है कि 28 सितंबर 2024 को गंडक नदी में 21 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया और जलस्राव 5.62 लाख क्यूसेक तक पहुँच गया। इससे पहले 2003 में 6.39 लाख क्यूसेक का रिकॉर्ड दर्ज हुआ था। हालांकि, पिछली बार यह मात्रा रिकॉर्ड से कुछ ही कम थी, पर इसके प्रभाव बेहद विनाशकारी रहे।
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तटबंधों की हालत खराब, गाद बनी संकट
पिछले साल की बाढ़ ने यह स्पष्ट कर दिया कि मौजूदा तटबंध अब पर्याप्त नहीं हैं। नदी की तलहटी में बढ़ती गाद के कारण नदी का तल ऊपर उठता जा रहा है, जिससे थोड़े जलस्राव में भी बाढ़ की स्थिति बन जाती है। गाद के कारण नदी की धाराएँ किनारों की ओर फैलती हैं और नहरों पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है।
512 करोड़ की क्षति, अब बनेगी नई कार्ययोजना
2024 की बाढ़ में राज्य सरकार को 512 करोड़ रुपये की क्षति हुई थी। लगभग 118 किलोमीटर तटबंध क्षतिग्रस्त हुए और कई संरचनाएं ध्वस्त हो गईं। इन्हीं वजहों से सरकार अब तटबंधों की मजबूती, जल निकासी और गाद प्रबंधन को लेकर नई कार्य योजना तैयार करेगी।
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अब गंडक के लिए होगी दीर्घकालिक तैयारी
राज्य सरकार का मानना है कि केवल तात्कालिक मरम्मत नहीं, बल्कि विज्ञान आधारित, टिकाऊ समाधान ही गंडक नदी से जुड़े जिलों को बाढ़ के कहर से बचा सकते हैं। सर्वेक्षण के आधार पर स्थायी समाधान की दिशा में योजनाएं तैयार की जाएंगी।