
पटना। अब ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। बिहार सरकार पंचायत स्तर पर ही यह सुविधा देने जा रही है। इसके तहत पंचायत सचिवों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस नई व्यवस्था पर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए पंचायत सरकार भवनों में विशेष काउंटर बनाए जाएंगे, जहां आवेदन से लेकर प्रमाणपत्र निर्गत तक की पूरी प्रक्रिया पूरी होगी।
पंचायत सचिव करेंगे प्रमाणपत्र निर्गत
नई व्यवस्था के अनुसार, अब जन्म के 30 दिन के अंदर वाले बच्चों का प्रमाणपत्र पंचायत सचिव द्वारा जारी किया जाएगा। एक माह से एक साल के भीतर बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र के लिए प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा जरूरी होगी, जबकि एक साल से अधिक देर से बनने वाले प्रमाणपत्र बीडीओ की अनुशंसा पर निर्गत होंगे।
अब तक की व्यवस्था में लोगों को हो रही थी परेशानी
अब तक जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र प्रखंड सांख्यिकी कार्यालय से जारी किए जाते थे, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी होती थी। एक ही काउंटर और अत्यधिक भीड़ के कारण समय पर प्रमाणपत्र नहीं बन पाते थे। कई स्थानों पर दलालों की सक्रियता भी बढ़ गई थी, जिसकी शिकायतें मिल रही थीं। अब पंचायत स्तर पर यह जिम्मेदारी आने से गांवों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है।
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शहरी क्षेत्रों में भी हो सकती है सुधार की पहल
शहरी क्षेत्रों में अभी भी यह जिम्मेदारी नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत स्तर पर रजिस्ट्रार के पास है, लेकिन वहां भी प्रमाणपत्र बनवाने में लोगों को समस्याएं हो रही हैं। इसलिए कई लोगों ने वार्ड स्तर पर सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।
एक नजर आंकड़ों पर
- बिहार में हर साल 30 लाख से अधिक बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनाया जाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी इलाकों में प्रमाणपत्र बनवाने वालों की संख्या अधिक है।
- पटना जिले में सबसे अधिक — हर साल औसतन दो लाख प्रमाणपत्र बनते हैं।
- अक्टूबर से जनवरी के बीच प्रमाणपत्रों की मांग सबसे अधिक होती है, जब स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होती है।
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निदेशक का बयान
अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय के निदेशक विद्यानंद सिंह ने कहा, “पंचायत सचिवों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की जिम्मेदारी सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। निदेशालय की ओर से प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा जा रहा है। मंजूरी मिलते ही पंचायत स्तर पर यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।”