सारण के ऑक्सीजन मैन दशरथ राय का डॉ. अनिल कुमार ने लिया गोद, आजीवन करेंगे मुफ्त में इलाज

छपरा। सारण के ऑक्सीजन मैन से मशहूर दशरथ राय के मदद के लिए लोग आगे आने लगे है। शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक सह लायंस क्लब के अध्यक्ष व संजीवनी नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. अनिल कुमार सुधी लेने घर पहुंचे। घर पहुंचकर इलाज की और उसके बाद आर्थिक सहयोग राशि और साथ ही जरुरत की सामग्री व दीपावली पूजोत्सव के लिए सामग्री प्रदान किया।
डॉ. अनिल कुमार ने दशरथ राय के लिए अपने अस्पताल में आजीवन मुफ्त में इलाज व भर्ती करने की घोषणा की।उन्होंने कहा कि समय-समय पर जितना बन सकेगा मदद किया जायेगा। ऐसे लोगों को जिंदा रहना बहुत जरुरी है। समाज को काफी कुछ मिलता है।
दशरथ राय जैसे लोग अगर समाज में एक-दो भी हो जाये तो कल्याण होगा। पर्यावरण को बचाया जा सकता है और लोगों की जिंदगी सुरक्षित की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अखबार में पढ़ने के बाद इस बात की जानकारी हुई कि समाज में ऐसे भी लोग है जो पर्यावरण को न सिर्फ बचा रहे बल्कि प्रदूषण को भी कम कर लोगों के लिए जीना आसान कर रहे है।
अब तक 35 हजार से अधिक पेड़ लगा चुके है
अब तक 35,000 से अधिक पेड़,पीपल,बड़गद,पाकर और नीम लगाए हैं। अपनी ही सांसों के लिए संघर्ष कर रहा है। दशरथ राय ने अपने जीवन के कई साल पेड़ लगाने में बिताए ताकि लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिल सके, लेकिन आज, जब उन्हें खुद चिकित्सा के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है, उनकी आर्थिक स्थिति उन्हें जीवन से जूझने पर मजबूर कर दी है।
अब तक सरकार की ओर से सिर्फ सम्मान मिला,मदद नहीं
दशरथ राय ने अपनी मेहनत से सप्ताह के पांच दिन अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मजदूरी की। इसके साथ ही समाज के लिए इतना बड़ा योगदान दिया। बड़े स्तर पर पौधरोपन किया। पर्यावरण को बचाने के लिए सराहनीय कदम उठाया।
उनके इस अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जिला कलेक्टर और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया।
उनकी मेहनत और समर्पण के चलते हजारों पेड़ आज शुद्ध हवा प्रदान कर रहे हैं, लेकिन विडंबना यह है कि इस पर्यावरण प्रेमी को अब अपनी जान बचाने के लिए आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है।
आठ माह से बीमार है
पिछले सात-आठ महीने से बीमार चल रहे दशरथ राय का इलाज उनकी आर्थिक तंगी के कारण सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। कुछ लोगों ने मदद की, लेकिन वह मदद अब नाकाफी साबित हो रही है। उनका परिवार अब मदद के लिए समाज की ओर देख रहा है, ताकि दशरथ जी को समय पर इलाज मिल सके और वे फिर से स्वस्थ होकर समाज और पर्यावरण की सेवा कर सकें।