छपरा

Chhapra News: सारण में बालू घाटों की बंदोबस्ती अटकी, 50 घाटों की नहीं हुई निलामी

सरकार को अरबों के राजस्व का नुकसान

छपरा। जिले में सफेद बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं हो पाने के कारण सरकार को भारी राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, सारण में कुल 54 सफेद बालू घाट हैं, लेकिन अब तक केवल चार घाटों की ही सफलतापूर्वक बंदोबस्ती हो सकी है। तीन बार अखबारों में निविदा का विज्ञापन प्रकाशित होने के बावजूद भी अधिकांश घाटों में कोई बोलीदाता सामने नहीं आया है।

ज्यादा दर बनी बंदोबस्ती में बाधा

सूत्रों की मानें तो विभाग द्वारा सफेद बालू का दर 75 रुपए प्रति घन फीट निर्धारित किया गया है, जबकि सामान्य भराई मिट्टी का दर मात्र 33 रुपए प्रति घन फीट है। इस मूल्य अंतर के कारण लोग निर्माण कार्यों में बालू की जगह मिट्टी का उपयोग करने लगे हैं, जिससे सफेद बालू की मांग में गिरावट आई है।

Railway News: रेलवे स्टेशन बना लग्ज़री लाउंज, अब ₹50 में मिलेगा होटल जैसा अनुभव

54 में से सिर्फ 1 घाट का सीमांकन हुआ पूरा

हाल ही में दरियापुर प्रखंड के दरिहारा गंडक नदी बालू घाट का सीमांकन कार्य पिलर गाड़कर पूरा किया गया। इस घाट का टेंडर एकलव्य एसएचजी वीकेवाई जेभी नामक कंपनी को मिला है, जिसकी कुल बंदोबस्ती राशि ₹1.11 करोड़ (पांच वर्षों के लिए) तय की गई है। यह घाट अब संचालन की तैयारी में है।

advertisement

Crime news: छपरा में चर्चित व्यवसायी अमरेंद्र सिंह और उनके चचेरे भाई की गोली मारकर हत्या

पूर्व में हुई थी अधिकांश घाटों की बंदोबस्ती

2024 में जारी हुई निविदा के तहत पहले भी घाटों की बंदोबस्ती हुई थी, लेकिन इस बार बढ़े हुए सरकारी दर ने संभावित बोलीदाताओं को पीछे कर दिया। स्थानीय जानकारों का कहना है कि जब तक दरों में यथार्थवादी सुधार नहीं होगा, तब तक अन्य घाटों की बंदोबस्ती संभव नहीं है।


नुकसान सरकार का, असर स्थानीय विकास पर

बालू घाटों से होने वाला राजस्व स्थानीय विकास योजनाओं की रीढ़ होता है। लेकिन बंदोबस्ती में कमी से न सिर्फ राजस्व घट रहा है, बल्कि अवैध खनन की आशंका भी बढ़ रही है। विभागीय स्तर पर यदि दरों की समीक्षा नहीं की गई, तो आने वाले समय में हालात और गंभीर हो सकते हैं।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close