वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार
पटना। बिहार की राजनीति कुम्हार के चाक पर है। नियति इस मिट्टी को घड़ा बनाएगी या चिलम, अगले दो-तीन दिनों में तय हो जाएगा। अविश्वास के राजनीतिक बाजार में किसी पर किसी को भरोसा नहीं है। इस बीच राजद खेमे से मिली खबर के अनुसार, राजद ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर दाव लगाया है। शनिवार को राजद के नेता राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से मुलाकात सरकार से समर्थन वापस लेनी की घोषणा कर सकते हैं। इसके साथ राजद विधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के आधार पर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। इस सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में ललन सिंह दावा पेश करेंगे। साथ में, तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य सहयोगी दल शामिल होंगे। जीतनराम मांझी से समर्थन मांगा गया है। उनके 4 विधायक हैं।
राजद के रणनीतिकारों का मानना है कि बड़े राजनीतिक हित में छोटे राजनीतिक मदभेदों को भुलाया जा सकता है। ललन सिंह के मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने का लाभ होगा कि भाजपा का सबसे मजबूत आधार भूमिहार जाति में सेंधमारी आसान हो जाएगी। भूमिहार भी भाजपा में पिछड़ों के वर्चस्व से खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
इधर, राजनीतिक गलियारे की चर्चा के अनुसार, भाजपा की रुचि सिर्फ नीतीश कुमार के इस्तीफे में हैं, उसे जदयू के साथ सरकार बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। भाजपा सूत्रों की माने तो पार्टी सिर्फ राजद, जदयू और कांग्रेस के अंतर्कलह पर निगाह रख रही है। उसे जदयू के साथ जाने की हड़बड़ी नहीं है। यही नीतीश कुमार की सबसे बड़ी बाधा है। भाजपा सरकार बनाने का आश्वासन देकर इस्तीफा के बाद हाथ भी खींच सकती है। यह भी चिंता का विषय है। अगले कुछ घंटे बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें राज्यपाल और विधान सभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है।
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