आरा। आपने जगमोहन को देखा उसके डायलॉग पर हंसा, उसके अभिनय की तारिफ किये और आलोचना भी किये होंगे लेकिन जगमोहन कहां का है? कैसे परिवार का है? किस तरह एक्टिंग की दुनिया मे कदम रखा? कौन है उनका पहला अभिनय गुरु? उसका असली नाम क्या है ? ये बहुत कम लोग जानते हैं. हम आपको बता रहे है जगमोहन की पूरी जानकारी. दरअसल, जगमोहन का असली नाम विशाल यादव है जो कि आरा के पूर्व में गांव और वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र का वार्ड बहिरो का निवासी है. बेहद ही निम्न परिवार और छोटे से जगह से निकला ये कलाकार बॉलीवुड में टीवीएफ जैसी बड़ी कम्पनी में छाया हुआ है.
विशाल यादव के पिता महावीर सिंह यादव रेलवे के एक छोटे से पद फीडर से रिटायर्ड हो चुके है. 2014 में रिटायरमेंट के बाद से वो घर पर ही रहते हैं. विशाल के घर में इनकी माता है समन्ती देवी, एक बड़े भाई है विकाश यादव, बड़ी बहन है सुनीता देवी और एक छोटी बहन है लाली. बड़ी बहन की शादी हो चुकी है बड़ा भाई फैशन इंजीनियर है और छोटी बहन यहीं आरा के बहिरो में रहकर पढ़ाई करती है.
विशाल की स्कूलिंग आरा के डीके कार्मेल स्कूल से हुई वीर कुंवर सिंह विश्विद्यालय से पॉलिटिकल साइंस से पीजी किये और पिछले चार सालों से मुंबई अन्य कलाकारों की तरह स्ट्रगल के दौर से गुजर रहे हैं. विशाल ने फोन पर बताया कि शुरुआत के कला का ज्ञान आरा में चंद्र भूषण पांडे के द्वारा दिया गया.
उसके बाद इंटरमीडिएट की पढ़ाई खत्म कर वह दिल्ली चले गए. जहां उसको हिंदी थियेटर के सबसे बड़े नाम में शुमार महेंद्र मवेसी का साथ मिला और उनका शिष्य बन कर थियेटर की बारीकियों को सीखते हुए साल 2016 में खुद के डायरेक्शन और एक्टिंग करते हुए विशाल यादव ने चैत का लौंडा नाम से शो किया. जो कि साल 2016 में श्रीराम सेंटर मंडी हाउस का सबसे चर्चित थिएटर रहा.
इसके बाद से दिल्ली के थिएटर के दुनिया में विशाल यादव का नाम चर्चित हो गया था. अब इसके बाद विशाल यादव ने बताया कि वह मुंबई की तरफ रुख किए और वहां जाकर के कई एडवर्टाइजमेंट में काम किया.
ड्रीम गर्ल 2 में भी आयुष्मान खुराना के साथ एक छोटा सा रोल मिला और स्ट्रगल का दौर जारी रहा. तब जाकर टीवीएस के द्वारा पंचायत सीरीज में एक बड़ा ब्रेक मिला और अब विशाल यादव के नाम से उसे कम और जगमोहन नाम से दुनिया ज्यादा पहचान रही है.
विशाल यादव के गुरु चंद्र भूषण पांडेय पहले गुरु है जिन्होंने अभिनय का ककहरा उसको सिखाये है. चंद्रमोहन पांडेय भी थियेटर के दुनिया के जाने पहचाने नाम है.बिहार सरकार के फिशरीज डेवलपमेंट में ये ऑफिसर रहे लेकिन थियेटर करने का जुनून उनके सिर से नही उतरा था. प्रत्येक शनिवार और रविवार को जब छुट्टी में घर आते थे तो घर या कोचिंग में क्लास देते थे. इसी क्लास का छात्र था विशाल यादव.
गुरु चन्द्र भूषण पांडेय ने बताया कि जब वो मेरे पास आता था तब छठा या सातवी क्लास का छात्र था. शुरू में हम उस पर ज्यादा ध्यान नही देते थे क्यों कि ज्यादातर बच्चे ऐसे आते थे जिन्हें पढ़ाई में मन नही लगता था तो सोचते थे हीरो बनेंगे.
इसलिए हम उसको भी इसी कैटगरी में रखे थे लेकिन धीरे धीरे उसकी रुचि हमको दिखने लगी. उसको हीरो नही बनाना था उसको सिर्फ एक्टर और अभिनय करने का शौक था.अपने उम्र के हिसाब से ज्यादा काम करने लगा था मेरे पास रखे नाटक और रंगमंच के किताबो को ले कर जाता था पढ़ता था और एकदम समय पर वापस लौटा देता था.
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