फाइलेरिया के प्रति जन-समुदाय को जागरूक करने के लिए अनूठी पहल, नदी किनारे बालू की रेत पर सैंड आर्टिस्ट ने बनाई कलाकृति

छपरा

• सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार की कला को डब्ल्यूएचओ ने की सराहना
• सैंड आर्ट के माध्यम से दवा सेवन के प्रति किया जागरूक
• कलाकृति के माध्यम से हाथीपाँव के मरीज के बोझिल जीवन को किया प्रदर्शित

छपरा। फाइलेरिया से बचाव के लिए तथा इसके उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। जन समुदाय को जागरूक करने के लिए सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है। फाइलेरिया उन्मूलन में अब समाज के हर वर्ग के लोगों का साथ मिलने लगा है। विश्व एनटीडी दिवस के मौके पर छपरा शहर के साहेबगंज स्थित सरयू नदी के तट पर शहर के प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार ने बालू की रेट पर कलाकृति बनाकर फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा सेवन के प्रति लोगों को जागरूकता का संदेश दिया है। सैंड आर्टिस्ट ने बालू की रेत पर हाथीपांव के मरीज की तस्वीर उनके जीवन की चुनौतियों को प्रदर्शित कर लोगों को यह संदेश दिया कि हाथीपांव के मरीजों का जीवन कितना कष्टदायक होता है। इस सैंड आर्ट में सोनपुर के कचहरी फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्य रामानंद राय की तस्वीर बनाई गयी है। अगर 10 किलो का वजन लेकर कोई व्यक्ति कुछ दूर चलता है तो वह थक जाता है। लेकिन एक हाथीपाव का मरीज जीवन भर अतिरिक्त वजन अपने पैरों में लेकर चलता है तो उसका जीवन कितना कष्टदायक होता है इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल होता है। इस सैंड आर्ट का एक ही उद्देश्य है कि 10 फरवरी से चलने वाले एमडीए अभियान में सभी लोग सहभागी बने और फाइलेरिया से बचाव के लिए दावा का सेवन जरूर करें। 30 जनवरी को विश्व उपेक्षित उष्ण कटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। दुनिया में सबसे ज्यादा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में कष्ट लाने वाली इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के रूप में यह दिन मनाया जाता है। साथ ही इन उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को भी यह दिन उजागर करता है। इनमें अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं। विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी रोगों से पीड़ित है।

सारण की प्रतिभा को डब्ल्यूएचओ के राज्य समन्वयक ने की सराहना:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनटीडी प्रोग्राम के राज्य समन्वयक डॉ राजेश पांडये ने कहा कि हाथीपांव से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन के प्रति जन समुदाय को जागरूक करने के लिए यह एक अनोखी और अनूठी पहल है। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सारण के सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार ने अपना योगदान देकर एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य अदा किया है। उन्होंने कहा कि यह पहल सोशल मोबिलाइजेशन के लिए काफी सकारात्मक है। सारण सहित राज्य के 24 जिलों में 10 फरवरी से स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे।

42 लाख लोगों को खिलायी जाएगी दवा:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जन समुदाय की भागीदारी को सुनिश्चित करने में यह पहल सार्थक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस छुपे हुए कलाकार को राज्य स्तर पर प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। हमारे सारण जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है। अशोक कुमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। आज इन्होंने सैंड आर्ट के माध्यम से फाइलेरिया उन्मूलन में अपना योगदान देकर समाज के जिम्मेदार व्यक्ति होने का नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। दस फरवरी से एमडीए अभियान के तहत सारण जिले में 42 लाख लोगों को फाइलेरिया से बचाव के दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है।

सभी लोग करें दवा का सेवन :

सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार ने बताया कि कलाकृति को बनाने का मेरा एक ही उद्देश्य है की हाथीपांव जैसे गंभीर बीमारी हर कोई समझ सके कि यह बीमारी कितना गंभीर है। इस तस्वीर के माध्यम से मैंने यह संदेश दिया है कि हाथीपांव के मरीज का जीवन कितना दर्द और कष्ट में व्यतीत होता है। यह तस्वीर सिर्फ उदाहरण है। हमारे जिले में ऐसे लाखों मरीज हैं जो अपने जीवन में 10 या 15 किलो अतिरिक्त वजन लेकर चल रहे है। हमने अपने आसपास भी ऐसे कई मरीजों को देखा है कि वे हाथीपांव से ग्रसित है और उनका जीवन कितना कष्ट में व्यतीत होता है। ऐसे में 10 फरवरी से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चलाए जाने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान को सफल बनाना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। मेरा आप सभी से यही अपील है कि फाइलेरिया से बचाव के लिए दावा का सेवन जरुर करें। दवा सेवन सी ही हम और आप आने वाली पीढ़ी को इस गंभीर बीमारी से सुरक्षित कर सकेंगे।