उल्टी दिशा में बहती है भारत की यह इकलौती नदी, विश्वासघात और अकेलेपन की है कहानी

धर्म नई दिल्ली
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

नेशनल डेस्क। नर्मदा नदी, भारतीय सभ्यता और प्राकृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नदी उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर बहती है और अपने अनोखे प्राकृतिक मार्ग के लिए प्रसिद्ध है। नर्मदा के पास कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं और यहां हजारों श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य और ध्यान के लिए आते हैं।

नर्मदा का वैज्ञानिक रहस्य:

नर्मदा का उल्टा बहने का वैज्ञानिक कारण एक गहरी भूमिगत विज्ञानिक प्रक्रिया से जुड़ा है। यह नदी भूमिगत संरचनाओं द्वारा नियंत्रित होती है, जिन्हें ‘आंशिक वैष्णवी’ नामक जलधारा से जाना जाता है। इस वैष्णवी ने अपने प्राकृतिक अद्वितीयता के कारण नर्मदा को अपने रास्ते में उल्टा बहने पर मजबूर किया है।

इसका वैज्ञानिक परिणाम यह होता है कि नर्मदा की प्रवाह का उल्टा दिशा में बहना दक्षिण भारतीय तटों के साथ मिलता है, जबकि अधिकांश भारतीय नदियां पश्चिम दिशा में होती हैं और उनका जल भारतीय महासागर (अरब सागर) में मिलता है। यह नर्मदा को एक अद्वितीय स्थान प्रदान करता है भारतीय नदियों के इतिहास में।

नर्मदा की कहानी:

नर्मदा को ‘आकाश की बेटी’ कहा जाता है इसके लिए कि उसका पानी बहने का उल्टा रास्ता चुनने का कारण धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश के साथ जुड़ा हुआ है। इसकी पावनता और विशेषता ने उसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना दिया है, जो लाखों लोगों के लिए एक आध्यात्मिक संगम का प्रतीक है।

इस प्रकार, नर्मदा नदी न केवल भौतिक रूप से विशिष्ट है, बल्कि इसके पीछे उसकी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्वपूर्णता भी है जो इसे भारतीय सभ्यता के अनमोल धरोहर में से एक बनाती है।

क्यों नहीं हुआ नर्मदा का विवाह?

लोककथाओं की मानें, तो नर्मदा एक सुंदर राजकुमार के रूप में विख्यात सोनभद्र से प्यार करती थीं, लेकिन किस्मत को दोनों का सुंदर मिलन मंजूर नहीं था। नर्मदा को विवाह से पहले इस बात की जानकारी हासिल हुई कि सोनभद्र उनकी दासी जुहिला को पसंद करते हैं। ऐसे में, प्रेम के बाद मिले अकेलेपन के बाद नर्मदा ने कुंवारी रहने और सोनभद्र के विपरीत पश्चिम की ओर बहने का फैसला कर लिया। यही वजह है कि यह आज भी उल्टी दिशा में बह रही है।

कई मायनों में खास है नर्मदा

  • मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा कहलाने के साथ-साथ नर्मदा नदी को कुछ स्थानों पर रीवा नदी भी कहते हैं।
  • यह भारत की 5वीं सबसे लंबी नदी है, जो 1077 किलोमीटर का कुल मार्ग तय करती है।
  • भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के तट पर ही स्थित है।
  • इसका उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार है।
  • मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र की जगहों से गुजरते हुए यह सिर्फ इन राज्यों के भूगोल ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था और संस्कृति में भी अहम भूमिका निभाती हैं।