भारत में अंग्रेजों ने शुरू की थी डाक सेवा, डिजिटल जमाने में गायब हुई परंपरा

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नेशनल डेस्क। ‘चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है’, ‘चिट्ठी ना कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए’, ‘संदेसे आते हैं, हमें तड़पाते हैं, चिट्ठी आती है, वो पूछ जाती है कि घर कब आओगे’… बॉलीवुड में चिट्ठी पर कई गाने बने जो आज भी सबकी जुबान पर है. लेकिन चिट्ठी जिंदगी से गायब हो गई. जब से दुनिया डिजिटल हुई चिट्ठी की जगह ई-मेल, फिर SMS और अब वॉट्सऐप ने ले ली.

लेकिन कुछ जगहों पर खत आज भी चलन में हैं. भले ही इनका भेजने का सिलसिला कम हुआ है लेकिन आज भी भारत में 80 लाख चिट्ठियां भारतीय डाक से पहुंचाई जा रही हैं. जानते हैं खतों का सिलसिला कब शुरू हुआ और कैसे दुनिया में पोस्ट ऑफिस बने.

नया नहीं है चिट्ठी लिखने का सिलसिला


पुराने जमाने में लोग कबूतरों के जरिए संदेश भेजते थे लेकिन चिट्ठी के सबूत प्राचीन मिस्र में सबसे पहले मिले. माना जाता है कि यहां 4424 साल पहले ही खतों का सिलसिला शुरू हो गया था. इसके अलावा प्राचीन यूनान, रोम और चीन में भी संदेश लिखे जाते थे. माना जाता है कि दुनिया में पहला खत परसिया (फारस) की राजकुमारी अटोसा ने अपने हाथों से लिखा. 1 हजार साल पहले चीन में पोस्ट हाउस बना. फारस के राजा साइरस महान ने अपने राज में खतों को एक जगह पर पहुंचाने के लिए दफ्तर खोले और इसे अनिवार्य बनाया. इसके बाद बाकी देशों में भी पोस्टल सर्विस शुरू हुई. दुनिया का सबसे पुराना पोस्ट ऑफिस स्कॉटलैंड के सांक्हार में है. इसे 1712 में बनाया गया.

भारत में अंग्रेजों ने शुरू की डाक सेवा


भारत में पोस्टल सर्विस 1766 में लार्ड क्लाइव ने शुरू की. 1774 में सबसे पहले कोलकाता में डाकघर बनाया गया. लेकिन 1 अक्टूबर 1854 को तब के वायसराय लार्ड डलहौजी ने डाक विभाग शुरू किया. इस विभाग में ईस्ट इंडिया कंपनी के 701 डाकघरों को मिलाया गया. भारतीय डाक सेवा के अनुसार भारत में कुल 156434 डाकघर हैं. इनमें 141055 गांव में और 15379 शहरों में हैं.

10 हजार से ज्यादा डाक टिकट 

भारत में चिट्ठियों पर 1852 से डाक टिकट चिपकाना शुरू हुआ. ब्रिटिश भारत में चंद्रगुप्त मौर्य पहले भारतीय राजा थे जो डाक टिकट पर दिखे. आजादी के बाद 21 नवंबर 1947 में भारत ने अपनी पहली डाक टिकट निकाली जिस पर महात्मा गांधी बने थे. भारतीय डाक अब तक 10 हजार से ज्यादा डाक टिकट जारी कर चुकी है. डाक टिकट प्रीपेड सर्विस को दिखाता है यानी खत भेजने के लिए पहले पैसे दिए जा चुके हैं. हर पोस्टल स्टैंप की एक कीमत होती है.

भारत में अजीब पोस्ट ऑफिस


भारत का सबसे बड़ा पोस्ट ऑफिस मुंबई में है जो अंग्रेजों ने 1794 में बनाया. हमारे देश का सबसे ऊंचा पोस्ट ऑफिस हिमाचल प्रदेश के हिक्किम में है. इसकी समुद्रतल से ऊंचाई 14567 फुट है. सर्दियों में बर्फ की वजह से यहां केवल 6 महीने ही काम होता है. वहीं श्रीनगर में देश का पहला फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस है जो डल झील पर 2011 में खोला गया. भारत में दिल्ली के शास्त्री भवन में ऐसा डाकघर है जहां सभी कर्मचारी महिलाएं हैं.

पिन कोड भी कहते कहानी


खत लिखने के लिए जगह का एड्रेस होने के साथ-साथ वहां का पिनकोड लिखा होना भी जरूरी है. इंडियन पोस्ट ने पिन कोड की शुरुआत 15 अगस्त 1972 में की. भारतीय डाक विभाग में पोस्ट मास्टर रह चुके राजेंद्र वत्स कहते हैं कि पिन कोड का मतलब है पोस्टल इंडेक्स नंबर कोड जो 6 डिजिट का होता है. इसके पहले 3 अंक शहर, जिले या क्षेत्र को बताते हैं. अंतिम 3 अंक वितरण डाकघर को दर्शाते हैं. भारत में 9 पिन क्षेत्र हैं. पिनकोड केवल खत लिखने के लिए ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन शॉपिंग करते हुए डिलीवरी एड्रेस के साथ भी लिखना जरूरी होता है.

इंडियन आर्मी में आज भी जिंदा हैं खत


राजेंद्र वत्स कहते हैं कि आज भी चिट्ठियां लिखी जा रही हैं और उन्हें पोस्ट किया जाता है. दुनियाभर में जहां अब संदेशे मोबाइल से भेजे जा रहे हैं, वहीं भारतीय सेना में आज भी चिट्ठियां भेजी जाती हैं. इसके लिए आर्मी पोस्टल सर्विस (APS) बनी हुई है. आर्मी में पिन कोड 9 नंबर से शुरू होता है. इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में भी आज के जमाने में खत लिखे जाते हैं. खुद प्रधानमंत्री के दफ्तर में रोज हजारों खत पहुंचते हैं और लिखे जाते हैं.

खत में दिखते हैं इमोशन


स्कूलों में आज भी लेटर राइटिंग का टेस्ट होता है. बच्चों से खत लिखवाए जाते हैं लेकिन असल जिंदगी में अब इनकी अहमियत खत्म हो चुकी है. खत केवल कागज पर लिखे गए शब्द नहीं बल्कि इमोशन होते हैं. चिट्ठी भावनाओं को दिखाती है. कागज पर लिखे गए शब्द दिल की आवाज होते हैं. खत रिश्तों को भी मजबूत बनाता है. हाथ से लिखा खत यह भी दिखाता है कि आप दूसरे व्यक्ति की कितनी परवाह करते हैं. वहीं, खत तमीज भी सिखाता है क्योंकि आप चिट्ठी की शुरुआत नमस्ते और अंत धन्यवाद और ढेर सारे प्यार से करते हैं. खत याद बनकर भी हमेशा साथ रहते हैं जबकि डिजिटल संदेशों में यह सब गायब होता है.  इसके अलावा अगर कोई इंसान उदास हो या तनाव में हो तो चिट्ठियां उनके हर गम को दूर करने की ताकत रखती है।