छपरा। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यकम (एनटीईपी) के अंतर्गत मासिक बैठक का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र (डीटीसी) में आयोजित की गई है। उक्त बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के उद्देश्य से टीबी मुक्त पंचायत की शत-प्रतिशत सफ़लता को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। वहीं एनटीईपी कार्यक्रम से संबंधित कार्यों की समीक्षात्मक बैठक का आयोजन कर संबंधित अधिकारी और पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। वर्ल्ड विजन इंडिया के द्वारा बताया कि टीपीटी कार्यक्रम सुचारू रूप से आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से किया जाए।
टीबी मरीजों का विभागीय स्तर पर किया जाता है पर्यवेक्षण एवं निगरानी: डॉ आरपी सिंह
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत आगामी वर्ष 2025 तक पूरे देश से टीबी जैसी संक्रामक बीमारी का उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इसी के मद्देनजर जिला यक्ष्मा केंद्र के सभागार में यक्ष्मा विभाग से संबंधित मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया है। क्योंकि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग अपने- अपने स्तर से टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण और निगरानी कर रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह यक्ष्मा विभाग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ बाल कृष्ण मिश्र के द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के आलोक में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के आयोजनों में ग्रामीण चिकित्सा कल्याण विकास संस्थान द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के सभी पंचायत और शहरी क्षेत्रों के वार्ड में बलगम संग्रह कर जिला यक्ष्मा केंद्र भेजना सुनिश्चित किया जाना है। ताकि अधिक से अधिक लोगों का जांच कराया जा सके।
ओपीडी में आने वाले टीबी के संदिग्ध मरीजों को अनिवार्य रूप से बलगम जांच कराना सुनिश्चित करना होगा: डीपीसी
यक्ष्मा विभाग के जिला योजना समन्वयक हिमांशु शेखर ने बताया कि जिले में कार्यरत बलगम वाहकों को यक्ष्मा पर्यवेक्षकों के साथ समन्वय स्थापित कर बलगम जांच में तेज़ी लाने के लिए ग्रामीण चिकित्सा कल्याण विकास संस्थान के सचिव सुरेंद्र कुमार को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। ताकि टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम को शत प्रतिशत सफल किया जा सके। हालांकि इसके लिए उक्त संस्था के द्वारा जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एक- एक कर्मियों को प्रतिनियुक्ति कर दिया गया है। क्योंकि स्वास्थ्य संस्थानों के ओपीडी में आने वाले टीबी के संदिग्ध मरीजों को अनिवार्य रूप से बलगम जांच कराना सुनिश्चित करना होगा।
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