
रेल डेस्क। भारतीय रेलवे देश का सबसे बड़ा और लोकप्रिय परिवहन नेटवर्क है, जिससे रोज़ाना करीब दो करोड़ से अधिक लोग सफर करते हैं। इन यात्रियों में कई छोटे बच्चे भी होते हैं, जिनकी टिकट को लेकर कई बार अभिभावकों के मन में भ्रम रहता है। अगर आप भी अपने बच्चों के साथ ट्रेन से यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो रेलवे के बच्चों के टिकट नियम जरूर जान लें, वरना असुविधा और जुर्माना झेलना पड़ सकता है।
5 साल से कम उम्र के बच्चों को फ्री यात्रा
रेलवे के नियमों के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी कोच — जनरल हो या रिज़र्व्ड — में बिना टिकट यात्रा की अनुमति है। लेकिन ध्यान दें, इस उम्र वर्ग को अलग से कोई बर्थ नहीं दी जाती। अगर आप अपने छोटे बच्चे के लिए अलग बर्थ चाहते हैं, तो पूरा टिकट लेना अनिवार्य होगा।




5 से 12 साल तक के बच्चों का आधा टिकट
जो बच्चे 5 साल से लेकर 12 साल से कम उम्र के हैं, उनका आधा किराया लिया जाता है। हालांकि, अगर बुकिंग के समय बच्चे के लिए अलग सीट की मांग की जाती है, तो पूरा किराया देना पड़ेगा।
ध्यान रखें कि चेयर कार, एक्जीक्यूटिव क्लास, सेकेंड क्लास सीटिंग और एक्जीक्यूटिव एसी क्लास में नो-सीट ऑप्शन (NSOB) उपलब्ध नहीं होता, इसलिए इन श्रेणियों में आधे टिकट की सुविधा नहीं मिलती — पूरा टिकट अनिवार्य है।
12 साल या उससे अधिक के बच्चों को फुल टिकट
अगर बच्चा 12 साल या उससे अधिक उम्र का है, तो उसके लिए फुल टिकट जरूरी है। आधे टिकट की सुविधा सिर्फ 5 से 12 साल से कम उम्र तक ही सीमित है।
जरूरी हैं दस्तावेज
रेलवे के नियमों का सही लाभ उठाने के लिए, बच्चों की उम्र प्रमाणित करने वाले दस्तावेज, जैसे कि बर्थ सर्टिफिकेट या अन्य पहचान पत्र, साथ रखना जरूरी है। इन दस्तावेजों की मदद से रेलवे बच्चे की असली उम्र का पता लगाता है, ताकि कोई गलत तरीके से सुविधा का लाभ न ले सके।
अगर बच्चा 5 साल या उससे अधिक का है और बिना टिकट यात्रा करता पाया जाता है, तो अभिभावक को जुर्माना देना पड़ सकता है।
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