
छपरा। छपरा-सोनपुर के बीच निर्माणाधीन फोरलेन सड़क परियोजना पर अचानक रोक लगाए जाने से क्षेत्र की जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पिछले 50 दिनों से तेज रफ्तार से चल रहे इस निर्माण कार्य को 11 मार्च को अचानक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया। इस निर्णय से न सिर्फ आम जनता बल्कि स्थानीय व्यवसायी और निर्माण कार्य से जुड़े मजदूर भी असमंजस में हैं। निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में था मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड और इसकी सहयोगी कंपनियां इस फोरलेन का निर्माण युद्धस्तर पर कर रही थीं। शीतलपुर बस्ती से बाकरपुर तक दोनों लेनों पर पुल-पुलिया और सड़क का कालिकरण पूरा हो चुका था।
दिघवारा से बस्ती के बीच एक लेन चालू है, जबकि दूसरी लेन का बेसवर्क पूरा कर लिया गया था और कालिकरण का काम महज 10 दिनों में पूरा हो सकता था। इसके अलावा, आमी आरओबी (रेल ओवरब्रिज) का निर्माण भी दोनों लेनों पर लगभग पूरा हो चुका था। पट्टीपुल के दूसरे लेन का ब्रिज निर्माण भी एक महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद थी। लेकिन काम रोक दिए जाने से यह पूरा नहीं हो सका। अचानक रोक के पीछे क्या कारण? परियोजना से जुड़े एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निर्माण कार्य बिना किसी रुकावट के चल रहा था। लेकिन 11 मार्च को अचानक NHAI के अधिकारियों ने काम रोकने का आदेश दिया। इसके बाद कंपनी ने अपनी मशीनरी और निर्माण से जुड़ा अन्य सामान साइट से हटाकर नयागांव बेस कैंप में भेजना शुरू कर दिया।




फोरलेन परियोजना में देरी और बढ़ती लागत
यह फोरलेन परियोजना 2010 में स्वीकृत हुई थी और इसे 2016 तक पूरा होना था। लेकिन लगातार रुकावटों और सरकारी एजेंसियों की धीमी प्रक्रिया के कारण यह प्रोजेक्ट लगभग आठ साल से अधिक की देरी झेल चुका है। इस फोरलेन की अनुमानित लागत 950 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब बढ़कर 1600 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। इस देरी के चलते लागत में 650 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
जनता को जल्द समाधान की उम्मीद
अब स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि NHAI जल्द से जल्द निर्माण कार्य को फिर से शुरू करेगा ताकि छपरा-सोनपुर फोरलेन परियोजना अंतिम रूप से पूरी हो सके। क्षेत्रीय सांसद और विधायकों से भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है। सरकार को इस परियोजना को जल्द पूरा कराना होगा, क्योंकि यदि यह लंबे समय तक अधर में लटका रहा, तो जनता में असंतोष और बढ़ सकता है।
जनता में आक्रोश, चुनावी माहौल में सवाल
इस फोरलेन के निर्माण में हो रही देरी को लेकर जनता सरकार से सवाल पूछ रही है। चार महीने बाद संभावित विधानसभा चुनावों को देखते हुए कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब पिछले 14 वर्षों से निर्माण कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो आखिर अंतिम चरण में आकर काम को अचानक क्यों रोक दिया गया? स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि कार्य पर रोक ही लगानी थी, तो 10 दिन का समय और दिया जाता, जिससे दिघवारा से बस्ती के बीच दूसरी लेन का कालिकरण पूरा हो जाता और पट्टीपुल के दूसरे लेन का ब्रिज भी समय पर तैयार हो जाता।
- फोरलेन निर्माण से जुड़ी प्रमुख चुनौतियां अनुमति में देरी: परियोजना को लेकर विभिन्न सरकारी एजेंसियों और ठेकेदारों के बीच समन्वय की कमी।
- बजट वृद्धि: लागत बढ़ने के कारण फंडिंग में लगातार देरी हो रही है।
- भूमि अधिग्रहण की समस्या: कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों ने मुआवजे को लेकर विरोध किया, जिससे कार्य में रुकावट आई।
- नियामकीय बाधाएं: NHAI और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय की कमी से कार्य बार-बार रुकता रहा।
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