• बच्चों को 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं
• पोषण माह के तहत जिले के 21 स्वस्थ बालक-बालिका को किया गया सम्मानित
• स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा का हुआ आयोजन
• छह माह से उपर के बच्चों को ऊपरी आहार देना जरूरी
छपरा। राष्ट्रीय पोषण माह के समापन के मौके पर सारण समाहरणालय सभागार में स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के प्रत्येक प्रखंड से चयनित एक-एक बच्चों को खिलौना और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। साथ हीं मौजूद माताओ को पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए शपथ दिलाया गया। इस मौके पर आईसीडीएस के डीपीओ कुमारी अनुपमा ने कहा कि स्वस्थ बालक स्पर्धा कार्यक्रम के माध्यम से जनमानस को यह संदेश देना है कि बच्चे के सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार के साथ स्वच्छता और बच्चे की वृद्धि निगरानी भी बहुत जरूरी है। शारीरिक रूप से कमजोर बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वह बार बार बीमारी पड़ेगा और अपने साथ के बच्चों से पीछे रह जाएगा। इस स्पर्धा के माध्यम से ऐसे बच्चों के माता-पिता को बच्चों की विशेष देख-भाल के लिए प्रेरित करना भी रहा है, जिनके बच्चें अपेक्षाकृत कमजोर है।
21 बच्चों और उनके माँ को सम्मानित किया गया
जिले के छपरा शहरी, छपरा ग्रामीण समेत सभी प्रखंडों से चयनित 21 बच्चों और उनके माँ को सम्मानित किया गया है। साथ माताओं के साथ पोषण पर चर्चा की गयी है। बच्चों को 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं। 6 माह पूरा होने के बाद बच्चों को ऊपरी आहार देना जरूरी है ताकि उसे उचित मात्रा में पोषक तत्व मिल सके। लोगों को जागरूक करते हुए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखने की सलाह दी। मोटे अनाज जैसे- ज्वार, बाजरा, रागी, और कोदो जैसे अनाजों को बेहतर अनाज के रूप में मान्यता दी गई है। यह अनाज न केवल पोषण से भरपूर होते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। मोटे अनाज फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स, और खनिजों से भरपूर होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इस मौके पर डीपीओ आईसीडीएस कुमारी अनुपमा, छपरा शहरी के सीडीपीओ, ग्रामीण सीडीपीओ, राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक सिद्धार्थ सिंह, परियोजना सहायक अरविन्द कुमार, प्रत्येक प्रखंड की महिला सुपरवाइजर और एक-एक सेविका मौजूद थी।
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार जरूरी:
डीपीओ कुमारी अनुपमा ने कहा कि बच्चों के सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार के साथ स्वच्छता और बच्चे की वृद्धि निगरानी भी बहुत जरूरी है। शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वह बार-बार बीमार पड़ेगा और अपने साथ के बच्चों से पीछे रह जाएगा। इस स्पर्धा के माध्यम से ऐसे बच्चों के माता-पिता को बच्चों की विशेष देखभाल के लिए प्रेरित करना है।
शून्य से 6 माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान:
डीपीओ ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। इसलिए जब भी मां बन रहीं हो शिशु के नियमित स्तनपान के फायदों बारे में जानकारी जरूर लें। शून्य से 6 माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान और 6 से 8 माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ पौष्टिक ऊपरी आहार देना चाहिए। छ्ह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है। 9 से 24 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ तीन बार अर्द्ध ठोस पौष्टिक आहार देना चाहिए। बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आहार की विविधता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
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