छपरा। मेहतन और लगन के आगे सबकुछ हार मान जाती है। चरितार्थ कर रहा रसोइया का पुत्र सन्नी। परिवार और देश के लिए कुछ कर गुजरने की तम्मना संयोजे पढ़ाई कर रहे सन्नी की घर ध्वस्त होने पर पिता की पैर टूट गया। पिता पूर्ण रूप से दिव्यांग हो गए। उस समय सन्नी को विकट परिस्थितियों ने झकझोर कर रख दिया। सपना पर पानी फिरने की उम्मीद हो गई। क्योंकि पिता हमेशा से सफल होते हुए सन्नी का सपना पूरा करते हुए देखना चाहते थे।
यह सक्सेस कहानी सारण जिला के नगर पंचायत परसा बाजार के वार्ड 12 सैदपुर निवासी शम्भू प्रसाद का 25 वर्षीय पुत्र वैज्ञानिक सहायक सन्नी कुमार का है। जो देश के एकलौता पद वैज्ञानिक सहायक (बी) पर सफलता हासिल किया है। सन्नी शुरू से ही रिसर्च क्षेत्र में टॉपर बनना चाहता था।
सन्नी की माता रेखा देवी कहती है कि सन्नी के पिता के पैर टूटने पर पुत्र को पढ़ाने और सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हुए हौसला दिया। उस हौसले को बुलंद रखते हुए सन्नी ने फिर से पढ़ाई शुरू किया। पुत्र की पढ़ाई,पति की उपचार,सेवा और परिजनों की पालन पोषण के लिए सन्नी विद्यालय में रसोइया का काम शुरू किया। 25 रुपये प्रतिदिन के मजदूरी पर काम किया। बड़ा पुत्र को दुकान पर मजदूरी कराया। सन्नी की सपनों को पूरा करने के लिए माता पुत्र ने रात दिन मजदूरी मेहनत किया। परिवार की माली हालत देख सन्नी ने कोचिंग की फी देने के लिए परसा बाजार पर परलेजी एजेंसी में पलदारी का काम किया।पलदारी से बचे समय पर पढ़ाई करता रहा।
मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की भाई मिथलेश कुमार ने कहा कि मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास किया। उसके बाद पी एन कॉलेज से इंटर करने के दौरान पॉलिटेक्निक की तैयारी किया। पॉलिटेक्निक में चयन होने पर सन्नी ने राहत की सास लिया। पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर सफलता हासिल कर ट्रेनिंग के रूप में 2021 में रेल पहिया कारखाना बेला दरियापुर में योगदान किया।और आगे की पढ़ाई जारी रखा।बर्ष 2022 में इंस्च्यूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च सेंटर गांधी नगर गुजरात मे प्रोजेक्ट सैन्सटिफिक असिस्टेंट पद पर चयन हुआ।
गुजरात में रिसर्च सेंटर में कार्य करते हुए सन्नी ने आगे की सपना को पूरा करने के लिए अपना संघर्ष जारी रखा,माता पिता,भाई की उस कठिन भारी समय की सपनो को पुरा करने में जुटा रहा।पढ़ाई जारी रखा,लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ता रहा।सन्नी की लगन ने 2024 में फिर एक बार देश में एकलौटा पद के लिए सफलता हासिल किया।
माता और बड़े भाई मजदूरी कर सन्नी के सपना को करेंगे पूरा माता रेखा देवी ने अपनी आप बीती बताते हुए कही की पति के दिव्यांग होने पर खुद रसोइया का क़ाम कर सन्नी के पढ़ाई के साथ परिवार की पालन पोषण करती रही।बड़ा पुत्र को मोटर गैरेज,कपड़ा दुकान पर मजदूरी करती रही,सन्नी खुद पलदारी किया।सभी की संघर्ष पर सन्नी खड़ा उतरा।और बैज्ञानिक बनने की दिशा में अग्रसर बढ़ रहा है।माता जीवन की कठिन समय को याद कर भवुक होकर फफक पड़ी।
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