छपरादेश

बच्चों की जान की कीमत समझे समाज: सिर्फ एक साल में 16,443 बच्चों और किशोरों की सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौत

MANUU और यूनिसेफ ने हैदराबाद में आयोजित किया राष्ट्रीय मीडिया परामर्श

छपरा। बच्चों और युवाओं के लिए सड़कें केवल आवागमन का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा से जुड़ा अधिकार भी हैं—इसी विचार को केंद्र में रखते हुए मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) और यूनिसेफ इंडिया ने हैदराबाद में एक राष्ट्रीय मीडिया परामर्श का आयोजन किया। इस दिनभर चले कार्यक्रम में सड़क सुरक्षा को बच्चों के अधिकार, जनस्वास्थ्य और सामाजिक विकास से जोड़ते हुए मीडिया की भूमिका पर व्यापक विमर्श हुआ।

साझा सामाजिक ज़िम्मेदारी की ज़रूरत

कार्यक्रम में यूनिसेफ इंडिया की कम्युनिकेशन, एडवोकेसी और पार्टनरशिप प्रमुख सुश्री ज़ाफरीन चौधरी ने कहा, “बच्चों की सड़क सुरक्षा सिर्फ कानून या इंफ्रास्ट्रक्चर का मामला नहीं, बल्कि एक साझा सामाजिक ज़िम्मेदारी है। मीडिया को आंकड़ों को इंसानी कहानियों में बदलकर समाज में सोच और कार्रवाई के लिए प्रेरित करना होगा।”

Chhapra News: सारण में 22 शराब माफियाओं और अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त, पुलिस ने तैयार की सूची

मीडिया के लिए आह्वान

कार्यक्रम का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब भारत में बच्चों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत की दर चिंताजनक है। सिर्फ वर्ष 2022 में ही 16,443 बच्चों और किशोरों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई। यह 5–19 आयु वर्ग में मृत्यु का प्रमुख कारण बन चुका है, लेकिन मीडिया की कवरेज अभी भी बड़ी या हाई-प्रोफाइल घटनाओं तक सीमित रहती है।

इस संदर्भ में MANUU के पत्रकारिता विभाग के डीन प्रो. मोहम्मद फरियाद ने कहा, “सामुदायिक रेडियो और युवाओं के नेतृत्व वाले अभियानों के जरिए जिम्मेदार सड़क व्यवहार को प्रोत्साहित किया जा सकता है। मीडिया जन-जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन का प्रभावशाली माध्यम है।”

छपरा-मथुरा एक्सप्रेस समेत 42 ट्रेनों का रेलवे मार्ग बदला, यात्रियों को होगी परेशानी

नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों की राय

इस अवसर पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार साझा किए:

  • पी. शिव शंकर, मुख्य महाप्रबंधक, NHAI (हैदराबाद) ने कहा: “सड़क सुरक्षा के लिए शिक्षा, प्रवर्तन, प्रमाण और इंजीनियरिंग—चारों का एक साथ जुड़ना आवश्यक है।”

  • प्रो. सैयद ऐनुल हसन, कुलपति, MANUU ने कहा: “यह परामर्श सामाजिक चेतना का आह्वान है। हमारी पत्रकारिता शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को ज़िम्मेदार नागरिक पत्रकार बनाना है।”

  • डॉ. जेलालेम ताफेसे, यूनिसेफ हैदराबाद प्रमुख ने कहा: “ट्रॉमा रिस्पॉन्स में देरी कई बच्चों की जान ले लेती है। हमें बाल चिकित्सा आपात सेवाओं और प्रशिक्षित फर्स्ट रिस्पॉन्डरों की ज़रूरत है।”

  • डॉ. सैयद हुब्बे अली, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूनिसेफ इंडिया ने कहा: “सड़क हादसे भारत में एक अनदेखा स्वास्थ्य बोझ हैं। बच्चों की सुरक्षा को हर प्रकार की मोबिलिटी प्लानिंग में केंद्र में लाना होगा।”

  • डॉ. जी. गुरुराज, प्रमुख, WHO सहयोगी केंद्र, बेंगलुरु ने कहा: “सड़क हादसे व्यवस्थागत विफलता का परिणाम हैं। मीडिया के सतत विमर्श से ही स्थायी बदलाव संभव है।”

Railway Engine: सारण का ‘कोमा’ अब गिनी की शान, मढ़ौरा में बना लोकोमोटिव अफ्रीका में लाएगा समृद्धि

युवाओं और मीडिया की सक्रिय भागीदारी

कार्यशाला में MANUU के विद्यार्थियों, 50 से अधिक रेडियो जॉकीज़, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और युवा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
रेडियो जॉकी प्रतिभागियों ने यूनिसेफ की सोनिया सरकार और प्रोसुन सेन के साथ मिलकर जिंगल्स, टॉक शो और संवादात्मक कार्यक्रम तैयार किए जो हेलमेट उपयोग, स्कूल ज़ोन की सुरक्षा, बायस्टैंडर रिस्पॉन्स और किशोर वाहन चालन जैसे विषयों पर आधारित थे।

सामूहिक संकल्प और आगे की राह

कार्यक्रम के समापन पर एक सामूहिक आह्वान किया गया जिसमें मीडिया, नीति-निर्माताओं और शिक्षण संस्थानों से सड़क सुरक्षा को केवल ट्रैफिक नियंत्रण का मुद्दा न मानकर विकास की प्राथमिकता के रूप में देखने की अपील की गई। विशेष रूप से वंचित समुदायों के बच्चों की सुरक्षा की कहानियों को उजागर करने और समुदाय-आधारित संवाद बढ़ाने पर बल दिया गया।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button