पटना: बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने दारोगा के 1275 पदों पर वैकेंसी का रिजल्ट जारी कर दिया है. इस रिजल्ट में तीन ट्रांसजेंडर सफल हुए हैं. देश के इतिहास में पहली बार है कि कोई ट्रांसजेंडर दारोगा बना है और इसकी शुरुआत बिहार से ही हुई है. इन तीन ट्रांसजेंडरों में दो ट्रांसमेन हैं और एक ट्रांसवूमेन हैं. बिहार के भागलपुर के एक छोटे से गांव की रहने वाली मानवी मधु कश्यप देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा बनी हैं.
देश की पहली ट्रांसजेंडर बनी दारोगा :
मानवी ने कहा कि पहले पहचान छिपाने के लिए समाज के डर से जो दुपट्टा ओढ़ा था अब उसे लहराएंगी. पहले उनकी मां उनसे मिलने के लिए छिपकर पटना आती थीं, लेकिन अब वह अपने गांव वर्दी में जाएंगी और सभी से कहेंगी कि उन्हें ट्रांसजेंडर होने का कोई शर्म नहीं है.
बिहार की मानवी ने रचा इतिहास : मानवी ने बताया कि जब वह ”कक्षा 9 में थीं तब पता चला कि वह सामान्य लड़का नहीं है. इसके बाद धीरे-धीरे वह समाज से कटना शुरू हुई. परिवार में उनके अलावा उनकी दो बहनें एक भाई है और माताजी हैं. अपने घर पिछले 9 वर्षों से नहीं गई हैं. अब वह दारोगा की परीक्षा उत्तीर्ण कर गई हैं. वह सबसे पहले जब ट्रेनिंग कंप्लीट होगी तो मैं वर्दी में अपने गांव जाऊंगी और अपनी मां को सैल्यूट करूंगी.”
मुझे अपने ट्रांसजेंडर होने पर गर्व.. :
मानवी ने कहा कि इस रिजल्ट से वह काफी खुश हैं. वह बीते डेढ़ वर्षों से दरोगा बनने के लिए प्रतिदिन लगभग 8 घंटे या इससे अधिक ही पढ़ाई करती थीं. इसके अलावा सुबह-सुबह गांधी मैदान में फिजिकल के लिए डेढ़ घंटे पसीना बहाती थीं. इसका रिजल्ट हुआ कि जिस दौड़ को फिजिकल टेस्ट में 6 मिनट में पास करना होता है उसे उन्होंने 4 मिनट 34 सेकंड में पास कर लिया था. पास में मौजूद सभी अधिकारियों ने खूब ताली बजाया था.
मानवी ने बताया कि साल 2022 में उन्होंने मद्य निषेध विभाग में सिपाही के लिए लिखित परीक्षा निकाल ली थी लेकिन उसे दौरान उनकी शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं थी और इस वजह से वह फिजिकल में 11 सेकंड से चूक गईं थी. उस दौरान उनका सर्जरी हुआ था और 6 महीने बेड रेस्ट पर थी और दौड़ने चली गई थी जिसके कारण तबीयत भी खराब हो गया था. लेकिन उसके बाद दरोगा परीक्षा की तैयारी के लिए गुरु रहमान के पास जब आईं तो गुरु रहमान ने उनसे कोई शुल्क नहीं लिया और पढ़ाई के लिए सभी प्रकार के स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया.
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