छपरा में रामनगर स्टेट की 2.53 एकड़ जमीन पर फर्जी डीड का खेल, रजिस्ट्री से दस्तावेज गायब


छपरा। भगवान बाजार स्थित रामनगर स्टेट की 2.53 एकड़ जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध निर्माण का बड़ा मामला सामने आया है। इस जमीन पर अब तक 10 से 15 एक व दो मंजिला मकान और लगभग इतनी ही संख्या में दुकानें बन चुकी हैं। इनमें से कुछ दुकानों के निर्माण का दावा खुद दुकानदार कर रहे हैं, जबकि कुछ निर्माण तत्कालीन राजा मनमोहन विक्रम शाह उर्फ राम राजा द्वारा कराए जाने की बात कही जा रही है। हैरानी की बात यह है कि करीब एक बीघा जमीन अब भी खाली है, जहां रामनगर स्टेट का पुराना कार्यालय और कचहरी भवन मौजूद है, जिस पर भी फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं।
रजिस्ट्री कार्यालय से गायब हुए दस्तावेज, सौ से अधिक फर्जी डीड तैयार
सूत्रों के मुताबिक, रजिस्ट्री कार्यालय के अभिलेखागार से डीड संख्या 9652 और 1961 समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर सौ से अधिक फर्जी रजिस्ट्री तैयार की गई हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी फर्जी दस्तावेजों में एक ही डीड नंबर अंकित है।
इतिहास बताता है कि 1901 में तत्कालीन राजा राम राजा ने हथुआ स्टेट से भगवान बाजार क्षेत्र में यह जमीन खरीदी थी। वर्ष 1943 में मोतीहारी कोर्ट के आदेश के बाद यह जमीन उनकी पत्नी पांचसीता महारानी के नाम हो गई थी और तब से उनके वंशजों के नाम पर खतियान दर्ज है। वर्तमान में भी उनके वंशज छपरा नगर निगम और सदर अंचल कार्यालय में जमीन के विधिवत मालिक हैं और वर्ष 2025 तक नियमित रूप से रसीद भी कटती रही है।
स्टेट प्रबंधन ने कार्रवाई की मांग की
रामनगर स्टेट प्रबंधन ने नगर निगम, जिला प्रशासन और राजस्व विभाग से मांग की है कि अवैध दस्तावेजों के आधार पर किए गए सभी निर्माण कार्य ध्वस्त किए जाएं, फर्जी दस्तावेज रद्द किए जाएं और दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
एडीएम ने शुरू की जांच, भू-माफिया और सफेदपोशों की भूमिका उजागर
जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर समाहर्ता (एडीएम) इंजीनियर मुकेश कुमार ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने आवेदकों के दस्तावेज, डीड नंबर, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर, खरीद-बिक्री में शामिल व्यक्तियों और प्रक्रिया में जुड़े कर्मियों की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में वकीलों, डॉक्टरों, सफेदपोशों और भू-माफियाओं की संलिप्तता उजागर हुई है।
जांच में यह भी सामने आया है कि फर्जी दस्तावेज तैयार कराने के लिए छपरा, चंपारण, बनारस समेत अन्य जिलों व राज्यों तक नेटवर्क फैलाया गया था। कई कागजात उन अभिलेखों के आधार पर तैयार किए गए हैं जो अब रजिस्ट्री कार्यालय से गायब हो चुके हैं।
अभिलेखों की सुरक्षा के लिए तेज हुआ डिजिटाइजेशन
अभिलेखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रजिस्ट्री कार्यालयों में डिजिटाइजेशन का कार्य तेजी से कराया जा रहा है। छपरा अभिलेखागार में वर्ष 1968 तक तथा अवर निबंधन कार्यालयों में 1990 से अब तक के दस्तावेज डिजिटाइज हो चुके हैं। इसका मकसद अभिलेखों को सुरक्षित रखना और छेड़छाड़ को रोकना है।
रजिस्ट्रार का बयान
छपरा रजिस्ट्री कार्यालय के रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी ने कहा, “मैंने जुलाई 2023 में योगदान दिया और तब से कार्यालय की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में लगा हूं। जहां भी गड़बड़ी सामने आती है, जिलाधिकारी को सूचित कर त्वरित कार्रवाई की जाती है। जिलाधिकारी का सख्त निर्देश है कि किसी भी गड़बड़ी करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। अभी जो भी कार्रवाई हो रही है, वह उसी सख्ती का हिस्सा है।”
