भूमिहार के आंगन में दुसाध का जलवा, बोतलों में खो गयी पांच किलो अनाज की योजना

बिहार राजनीति
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वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार

पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में अपनी चुनावी यात्रा के अंतिम दिन 25 मई को तीन जनसभाओं को संबोधित किया। इसकी शुरुआत पाटलिपुत्र लोकसभा के बिक्रम से हुई। वे 11.35 बजे जमीन पर उतरे और फिर 12.45 बजे आसमान थाम लिया। उन्‍होंने 70 मिनट के प्रवास में 35 मिनट भाषण भी दिया। उनका भाषण 11.55 में शुरू हुआ और 12.30 बजे समाप्‍त हो गया। इसमें उन्‍होंने एक बार भी भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण की बात नहीं की, जबकि अहीर, दुसाध, चमार, कोईरी, कहार जैसे गैरसवर्ण जातियों के नाम दुहराते रहे।

जिस गांव के पास प्रधानमंत्री की सभा थी, उसका नाम नगहर है। यह बिक्रम से सटा हुआ है। इसके आसपास के सभी गांवों में भूमिहारों की बड़ी आबादी है। जब हम नगहर की ओर बढ़ रहे थे तो एक बच्‍चा हाथ में भाजपा का झंडा लिये सभा स्‍थल की ओर बढ़ रहा था। वह अपने दादा के साथ था। बच्‍चा काफी उत्‍साहित था। उसके लिए यह सभा मोदी मेला था। इस दौरान बातचीत में दादा ने बताया कि वे भूमिहार जाति से आते हैं। इसके आसपास सभी गांव भूमिहार प्रभाव वाले हैं। इसलिए भीड़ लग ही जाएगी।

सभा स्‍थल के आसपास के गांव की बसावट को देखकर आप कह सकते हैं कि यह भूमिहारों का आंगन है, उनका खलिहान है, दालान है। लेकिन भूमिहारों के आंगन में जलवा दुसाधों का था। हम करीब 10.10 बजे सभा स्‍थल पर पहुंचे थे। नेताओं का भाषण जारी था। छोटे-बड़े सभी नेता अपनी बात रख रहे थे। सबके भाषण में भाजपा उम्‍मीवार रामकृपाल यादव की सहज और सुलभ उपलब्‍धता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बतायी जा रही थी। हम दुसाधों का जलवा की बात कर रहे थे।

सभा मंच पर कई बड़े नेता भी अपनी बात रख रहे थे, लेकिन जब चिराग पासवान सभा को संबोधित करने मंच पर आये तो पूरा पंडाल का माहौल ही बदल गया। पंडाल के हर हिस्‍से में उत्‍साह दिख रहा था। लोग हाथ हिलाकर चिराग पासवान का उत्‍साह बढ़ा रहे थे। भीड़ में एक बड़ा हिस्‍सा दुसाधों का था। हमने सभा स्‍थल के अलग-अलग जगहों पर 7 लोगों से उनकी जाति पूछी। इसमें तीन दुसाध, तीन भूमिहार और एक कुम्‍हार जाति के व्‍यक्ति थे।

प्रधानमंत्री की सभा समाप्‍त हुई तो पंडाल की भीड़ हेलीकॉप्‍टर देखने के लिए दौड़ पड़ी। पंडाल का हेलीपैड वाले हिस्‍से में भीड़ जमा हो गयी थी। इसके साथ सड़क और हेलीपैड की घेराबंदी वाली जगह पर भीड़ उमड़ पड़ी थी। हम भी 15 मिनट तक हेलीकॉप्‍टर उड़ने का इंतजार करते रहे। प्रधानमंत्री के साथ तीन हेलीकॉप्‍टरों का कारवां एक साथ उतरा था। हेलीकॉप्‍टर के आसमान में मंडराने के बाद आसपास के गांवों से भीड़ सभा स्‍थल की ओर उमड़ पड़ी थी।

हेलीकॉप्‍टर के उड़ान भरने के बाद हम जब पंडाल से बाहर निकल रहे थे तो पंडाल लगभग खाली हो गया था। सुरक्षा घेरा भी उखड़ने लगा था। सुरक्षा जांच के दौरान पानी का बोतल भी एक ड्राम में डलवा दिया जा रहा था। सभा समाप्‍त होने के बाद बोतल गिराकर ड्राम लोग ले जा चुके थे। उन्‍हीं बोतलों को जमा करने में एक व्‍यक्ति जुटा हुआ था। यह प्रधानमंत्री के पांच किलो अनाज योजना का सच बता रहा था। गरीबी उन्‍मूलन को मुंह चिढ़ा रहा था। बात यहीं नहीं रुकती है।

भीड़ के बीच हम अपनी मोटरसाइकिल की ओर बढ़ रहे थे। इसी दौरान रोड किनारे नाश्‍ते का डिब्‍बा फेंका हुआ था। उसमें लिट्टी पड़ी हुई थी। उस डिब्‍बे में से लिट्टी उठाकर एक व्‍यक्ति के चेहरे पर जो खुशी दिखी, वह भी विकास के दावों पर दाग ही था।
जब तक सभा स्‍थल से बिक्रम-बिहटा सड़क पर मोटरसाइकिल के पास आते, तब तक हमारे साथ खेला हो चुका था।

हमारे साथ हमारा साथी मोटरसाइकिल में दोनों हेलमेट टांगकर सभा स्‍थल तक गया था, लेकिन बैग लेकर सभा स्‍थल पर जाने की मनाही थी। इसलिए वह वापस मोटरसाइकिल के पास आ गया। तब तक एक हेलमेट गायब हो चुका था। हम सभा समाप्ति के बाद वापस लौटे तो साथी ने बताया कि किसी ने एक हेलमेट गायब कर दिया है। हमने कहा कि चलो एक हेलमेट खरीद लेते हैं, फिर पटना लौटेंगे। हम करीब 1 बजे बिक्रम से पटना लिए प्रस्‍थान किये।