• अब दूसरे युवाओं को गांव में हीं उपलब्ध करा रहें रोजगार
• पहले 20 हजार के सैलरी पर करते निजी कंपनी में नौकरी
छपरा। अधिकतर युवाओं का सपना होता है कि वह अच्छी से अच्छी नौकरी करें और शोहरत हासिल करें, लेकिन जब नौकरी नहीं मिलती तो निराश हो जाते हैं। परंतु अब युवाओं को निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब सरकार भी स्वरोजगार के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही है। जिससे वह अपना स्टार्टअप शुरू कर सकें और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकें।
इसी सोच को पूरा करते हुए छपरा शहर से सटे सदर प्रखंड क्षेत्र के करिंगा गांव निवासी विकास कुमार ने मुर्गी-बकरी तथा मछली पालन किया है। विकास कुमार ने सरकार से लोन लेकर पहले बकरी पालन शुरू किया।
धीरे-धीरे बकरी पालन से कमाई बढ़ता गया। अब उसने देसी मुर्गी पालन तथा मछली पालन किया है। करीब 1 बीघा जमीन में पोखरा खुदाई कर मछली पालन किया है। अभी विकास के पास 50 बकरियां है। वहीं अगर मुर्गी पालन की बात की जाये तो 1000 सोनाली नस्ल के मुर्गियां है। उसने बताया कि मुजफ्फरपुर से मुर्गियों को खरीदकर लाया है। मुर्गी फार्म बनाने से लेकर मुर्गी खरीदने तक 12 लाख की लागत आयी है। देसी मुर्गी पालन में रिस्क भी बहुत कम है। इसके देखभाल के लिए 5 से 6 लोग रखे गये हैँ।
350 रू किलो मुर्गा, 10 रूपये पीस अंडा:
विकास कुमार ने अपने मुर्गी फार्म में करीब 1000 मुर्गियों का पालन किया है। इसकी मार्केट की बात की जाये तो 350 रूपये किलो मुर्गी का बिक्री हो रही है वहीं 10 रूपये प्रति पीस देसी अंडा का बिक्री किया जा रहा है। इस हर माह करीब 45 से 50 हजार रूपये की कमाई हो रही है।
पहले निजी कंपनी में करते थे काम, अब खुद दे रहें रोजगार:
विकास कुमार ने बताया कि पढ़ाई पूरा करने के बाद मैने भी सरकारी नौकरी का प्रयास किया। फिर परिवार के गुजारा के लिए दिल्ली के एक निजी कंपनी में 20 हजार के सैलरी पर नौकरी किया। लेकिन मुझे एहसास हुआ कि जीवन भर मैं कमाते रह जाउंगा इससे कुछ होगा नहीं। फिर मैने बिजनेस करने की मन बनायी और अपने एक दोस्त से सलाहकर पहले बकरी पालन की शुरूआत की। फिर धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता गया अब बकरी पालन, मुर्गी पालन और मछली पालन तीनों चीजे कर रहा हूं। अपने परिवार की देखभाल भी अच्छे से कर रहे हैं। वह कहते हैं की आज हमारी युवा पूरी नौकरी की तरफ भाग रही है। लेकिन वह यह नहीं समझ रहे कि नौकरी से अच्छा अपना स्वयं का व्यवसाय है। जिससे वह अपने साथ कई अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। अब वह आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा चुके हैं।
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