छपरा। छपरा के भवन निर्माण विभाग में उस समय अफरा-तफरी का माहौल हो गया। जब सैकड़ों की संख्या में पुलिस और पदाधिकारी पहुंच अतिक्रमण खाली कराने लगे। भवन निर्माण विभाग के लुक हिस्सो में लोग किराए से रह रहे थे। जिनके खिलाफ आग गुरुवार के दोपहर बाद प्रशासन का डंडा चला। इस दौरान सैकड़ो की संख्या में अधिकारी और भवन निर्माण के कर्मचारी थे। प्रशासन के इस कार्यवाई से आसपास के लोगो मे हड़कंप मच गया था। घण्टो तक स्थानीय लोग हलकान रहे। कई बार किरायेदार और प्रशासन के पदाधिकारियों में बकझक भी हो गया। भवन प्रमंडल विभाग के छह बड़े-बड़े भवन व पांच छोटे-छोटे भवनों को विभाग के संवेदक भूखल उपाध्याय ने नीलाम करा लिया था। भूखल उपाध्याय ने कोर्ट में दायर इजराय में कहा था कि भवन प्रमंडल ने उनका 10 हजार रुपया बकाया रखा है। वर्ष 2003 में छपरा कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया और बकाया रुपए के बदले भवन निर्माण विभाग के बिल्डिंग को नीलाम करने का निर्देश दिया। इसके बाद भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने छपरा कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया।
मुकदमा में कहा कि संवेदक का विभाग के ऊपर कोई रुपया बकाया नहीं है। कोर्ट को गुमराह कर नीलामी का आदेश पारित कराया गया है। छपरा कोर्ट के सरकारी ने कोर्ट में मजबूती से बिहार सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने समय-समय पर कई महत्वपूर्ण कागजात भी कोर्ट में जमा किया और कहा कि संवेदक ने सही जानकारी पूर्व में कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराई थी। उन्होंने कागजातों के आधार पर कोर्ट से सरकार के पक्ष में फैसला सुनाए जाने का अनुरोध किया।
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छपरा कोर्ट ने सरकारी वकील की दलीलों को पूरी तरह से मानते हुए वर्ष 2016 में पूर्व के आदेश को रद्द किया और भवन प्रमंडल के भवनों की नीलामी को भी गैरकानूनी बताया। इसके बाद छपरा कोर्ट के निर्णय को लेकर संवेदक के पुत्र राजेश उपाध्याय पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने छपरा कोर्ट के निर्णय पर तत्काल रोक लगाने का भी अनुरोध किया।
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सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने छपरा कोर्ट के निर्णय का अवलोकन किया और सरकारी वकील के स्तर पर उपलब्ध कराए गए का दस्तावेज की भी गहनता से जांच की। पटना हाईकोर्ट ने छपरा कोर्ट के आदेश को सही मानते हुए भवन प्रमंडल के भवनों की नीलामी को गलत बताया।
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मीडिया के बात करते हुए एएसडीओ अर्शी शाहीन ने बताया कि न्यायलय और जिलाधिकारी के निर्देश पर भवन निर्माण ब8भाग में अतिक्रमित मकानों को खाली कराया गया है। लागभग 20-22 वर्षो से अतिक्रमण कर राजेश उपाध्याय द्वारा किराए से चलाया जा रहा था।।जिसको लेकर जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया। वही सभी लोगो को 5 महीना पहले सूचित कर दिया गया है।लेकिन कोई व्यक्ति अभी तक खाली नही किया है। आज माइकिंग करा सबको सूचित किया गया। जिसके बाद सभी अवैध कब्जाधारियों को हटाया जाएगा।
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वही स्थानीय लोगो ने बताया कि राजेश उपाध्याय द्वारा इस पांच मकानों के किराया लिया जाता है। सभी लोग लंबे समय से इन मकानों में रह रहे है। एकाएक प्रशासन द्वारा खाली करने का फरमान जारी कर दिया गया। इस हालत में लोग कहा जाए। घर मे रखे समान को प्रशानिक पदाधिकारियों द्वारा घर से बाहर निकाला जा रहा है। इस अवस्था मे सब्बि लोग रौड़ पर रहने को मजबूर हो जाएंगे।
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