छपरा। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के छपरा कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट की कमिशनिंग किया गया है। इस प्लांट की वाशिंग की क्षमता 70 से 80 यान प्रति घंटा एवं 300-350 यान प्रति दिन है। इस प्लांट के द्वारा पूरे रेक (24 कोच) की धुलाई 7 से 8 मिनट में की जा सकती है। यह एक कोच की धुलाई में केवल 300 लीटर पानी का उपयोग करता हैजबकि पारंपरिक धुलाई कि व्यवस्था से लगभग हैलीटर प्रति कोच पानी कि खपत होती 1500। इससे प्रति कोच लगभग 1200 लीटर पानी की बचत होती है।
प्लांट द्वारा धुलाई हेतु उपयोग किया जाने वाला केमिकल पर्यावरण अनुकूल है। यह सुविधा अपशिष्ट उपचार संयंत्र और जल मृदुकरण संयंत्र से सुसज्जित है जो पानी का पुन उपयोग और पुनर्चक्रण करने में मदद करता है।यह केवल 20 % Fresh Water का इस्तेमाल करता है शेष 80% पानी Dirty Water को Recycle करके उपयोग करता है। कम पानी के उपयोग और पुनर्नवीनीकरण के साथ, एक ACWP कोच धोने के पारंपरिक तरीकों की तुलना में 96% कम पानी की खपत करता है। इस प्रकार यह अत्यधिक भूजल दोहन को कम करने में भी मदद करता है।
यह कोच के पुरे बाहरी हिस्से को साफ करने के लिए वर्टिकल और होरिजेंटल घुमने वाले नायलोन एवं कपास युक्त ब्रश के साथ उच्च दबाव वाले साबुन घोल और पानी के जेट का उपयोग करता है जो उच्च गुणवत्तापूर्ण सफाई के साथ पानी की बचत भी सुनिश्चित करते है साथ ही सफाई में लगने वाले समय की बचत और मानव श्रम की बहुत कम कर देता है ।
भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के डिब्बों की सफाई के लिए अत्याधुनिक तरीका विकसित कर लिया है। पूर्वोत्तर रेलवे ने ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोचों को साफ करने की शुरुआत कर दी गई है। इससे घंटों लगने वाले समय की बचत होगी और बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी पर भी रोक लग सकेगी, साथ ही इस नई व्यवस्था से रेलवे कोच चमकते नजर आएंगे रोचक बात है कि इस मशीन से पूरी की पूरी ट्रेन यानी 24 बोगियां 7 से 8 मिनट साफ हो जाएंगी ।
मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक वाराणसी मंडल के बनारस कोचिंग डिपो पर इस ऑटोमेटिक कीच वॉशिंग प्लांट की शुरुआत की गई थी जिसके बाद क्रमशः औडिहार और छपरा में इसकी स्थापना की गयी है । ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के साथ 30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) भी लगाया गया है । यह ट्रीटमेंट प्लांट सफाई के बाद बर्बाद होने वाले पानी को रिसाइकिल करेगा, जिससे पानी को दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा ।
उन्होंने बताया की पारंपरिक तरीके की वॉशिंग से ट्रेनों की साफ-सफाई में अधिक वक्त लगता है और पानी की खपत भी बहुत अधिक होती है । इसके बावजूद ट्रेन के डिब्बों की सफाई हाईजेनिक ढंग से नहीं हो पाती है । लेकिन अब समय और पानी दोनों की बचत होगी । ऐसे में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से ट्रेन के सभी कोच बेहतर तरीके से साफ हो सकेंगे,साथ ही पूरे ट्रेन की एक जैसी सफाई होगी, नए तरीके से बर्बाद होने वाले पानी को भी संरक्षित किया जा सकेगा । यानी सफाई में लगने वाले पानी के 80 फीसदी मात्रा को रिसाइकिल करके दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा ।
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