छपरा में शुरू होगी ड्रैगन फ्रूट, अंजीर और स्ट्रॉबेरी की खेती, उपलब्ध कराया जायेगा पौधा

क़ृषि छपरा
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छपरा। जिले की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में कृषि से जुड़ी है, तो उनकी समस्याओं की पहचान कर उनका समाधान करना महत्वपूर्ण है, ताकि उनकी आय बढ़ाई जा सके।

जिला ड्रैगन फ्रूट, अंजीर और स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करेगा। योजना है कि किसानों को इन व्यवसायिक रूप से व्यवहार्य खेती के विचारों से अवगत कराया जाए, साथ ही उन्हें उद्यम शुरू करने के लिए पौधे भी उपलब्ध कराए जाएं।

सारण के जिलाधिकारी अमन समीर की अध्यक्षता में आज आत्मा के शासी परिषद की बैठक आहुत की गई।
जिलाधिकारी ने आगामी पाँच वर्षों के लक्ष्य में ध्यान रखते हुये किसानों के लिए उपयुक्त क्षेत्र चयन के आधार पर प्रशिक्षण की योजना बनाने को लेकर स्पष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने का निदेश दिया।
उन्होंने कहा कि हर जिले की अपनी विशेषता होती है, उसी के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाएं। इसके लिये किसानों से फीडबैक लें। फीडबैक एकत्र करने के लिए एक उचित तंत्र विकसित करें और प्रशिक्षण के लिए एक कैलेंडर तैयार करें।

क्षेत्रीय अधिकारी किसानों से प्रत्यक्ष जानकारी लेते हैं और फिर निर्णय लेते हैं कि उनकी मदद कैसे की जाए। प्रशिक्षण कार्यक्रम सिर्फ खानापूरी नहीं होना चाहिए, बल्कि यह आवश्यकता आधारित होना चाहिए।

 

कृषि रोडमैप जिले में आयोजित कृषि का प्रकाश स्तंभ:

उदाहरण के लिए मत्स्य पालन में, डीएम ने विस्तार से बताया, किसान विशेष नस्ल की मछलियाँ पालना चाह सकते हैं इसके लिये एक हैचरी बनाएं, बेहतर परिणामों के लिए विशिष्ट प्रकार की प्रतिक्रिया चुनें। यही बात बागवानी जैसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू होती है।
कृषि रोडमैप जिले में आयोजित कृषि का प्रकाश स्तंभ है। इसी तर्ज पर आपको किसानों से सीधा संवाद करना चाहिए और उनकी सीधी प्रतिक्रिया लेनी चाहिए और उसे रिकॉर्ड करना चाहिए। वानिकी भी आत्मा का एक हिस्सा है। उस क्षेत्र से जुड़े किसानों से बातचीत पर भी ध्यान केंद्रित करें।

 

बाजरा, नकदी फसल, बागवानी और पशुपालन पर ध्यान:

डीएम ने कहा कि बाजरा, नकदी फसल, बागवानी और पशुपालन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ये क्षेत्र किसानों को उच्च आय प्राप्त करने में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, सारण में किस प्रकार की दालें सबसे अधिक पैदा होती हैं, उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है, आत्मा को इन क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, न कि केवल सतही विश्लेषण पर।
निर्धारित मानकों के आधार पर जिले का कृषि मानचित्र बनाएं जिसमें दर्शाया गया हो कौन से क्षेत्र किस फसल के उत्पादन में समृद्ध हैं। उनकी ताकत और कमजोरी, किसानों की प्राथमिकताओं का रिकॉर्ड तैयार कर एक बार नक्शा बन जाने के बाद यह विश्लेषण करना आसान हो जाएगा कि किस क्षेत्र के किसानों को किस प्रकार के समर्थन और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

बकरी पालन में सही नस्ल की पहचान :

बकरी पालन में प्रमुख चुनौतियां क्या हैं, इसकी भी पहचान की जानी चाहिए। लोग एक समय में 20 या 40 के झुंड में बकरियाँ पालते हैं। किसान उन्नत नश्ल की बकरियों को पालने के बजाय स्थानीय नस्ल की बकरियों को पालना पसंद करते हैं।
डीएम ने कहा कि सही प्रशिक्षण से इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को पालन के लिए सही नस्ल की पहचान करने, बकरियों की बुनियादी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने में मदद मिलेगी एवं वे आत्मनिर्भर हो सकेंगे। इसी तरह मधुमक्खी पालन में लगे लोगों की पहचान करें, क्षेत्र में एक समस्या यह थी कि रानी मधुमक्खी की सुरक्षा कैसे की जाए। कृषि विभाग द्वारा बनाई गई योजना का विस्तृत विवरण ऐसा होना चाहिए जिले में।

मधुमक्खी पालन में, फूल न आने के मौसम में मधुमक्खियों को दूसरे क्षेत्र में ले जाना पड़ता है, जहाँ फूल वाले पौधे उपलब्ध हों। किसानों को इस बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। किसान मेला का आयोजन अलग अलग प्रखंडों में कराने को कहा गया।

बैठक में जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, सहायक निदेशक उद्यान, सभी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।