पटना। बिहार में भू-माफिया का राज नहीं चलने वाला है। बिहार सरकार का चुलबुल पांडेय अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का कार्यभार संभालने के लिए आ गया है। वो फिल्मी दुनिया के सुपरकॉप चुलबुल पांडेय के जैसा है। नियम तोड़ने वालों को वो कई बार नियम के दायरे से बाहर आकर सबक सिखाता है। अगर कोई घूसखोर एक हाथ से लेता है तो वो उसके दूसरे हाथ पर ऐसा डंडा मारता है कि पहला हाथ रिश्वत का पैसा लेने से इनकार कर देता है। नियम ऐसे कि एक बार कमिटमेंट कर दी तो खुद की भी नहीं सुनता। बिहार के शिक्षा विभाग में वो अपने काम का नमूना हाल ही में दिखा चुके हैं। अब आप समझ गए होंगे कि किसकी बात चल रही है, जी हां, वन एन ओनली केके पाठक। इनके बारे में स्टाफ दबी जुबान से यहां तक कहते हैं कि ऐसा अफसर अपवाद ही होता है।
अब केके पाठक को भूमि राजस्व विभाग की जिम्मेदारी
बिहार का भूमि राजस्व विभाग बड़ी सरकारी कमाई (रेवेन्यू) वाला डिपार्टमेंट है। इस विभाग के जरिए सरकार को मोटे पैसों की कमाई होती है। जमीन की रजिस्ट्री से लेकर बालू के खनन तक में इसकी हिस्सेदारी रहती है। लेकिन इसी विभाग में दलालों, जमीन माफिया का बोलबाला है। ये हम नहीं कहते, बल्कि खुद विभाग के कुछ अफसर दबी जुबान से चर्चा करते और मानते भी हैं। शायद इसीलिए नीतीश सरकार ने भूमि राजस्व विभाग को सुधारने के लिए कड़क IAS केके पाठक की तैनाती कर दी है। समझिए कि कैसे असर होगा पाठक की इस विभाग में पोस्टिंग का…
पहले समझिए भूमि और राजस्व विभाग की कहानी
बिहार में भूमि और राजस्व विभाग को सोने के अंडे देने वाली मुर्गी कहा जाता है। हाल के दिनों में बिहार में जमीन के भाव तेजी से बढ़े हैं। राजधानी पटना समेत कई इलाकों में भू माफिया तेजी से सक्रिय हुआ है। ये माफिया फायदे के लिए कमजोर लोगों (चाहे वो दलित हों या फिर सवर्ण), की जमीनों पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए रहता है। मौका मिलते ही माफिया इन जमीनों पर कब्जा करने से भी गुरेज नहीं करता। इसके अलावा भू माफिया उन प्लॉट्स को भी खरीद लेता है जो विवादित हैं, यानि जिसमें दो पक्षों के बीच विवाद हो। इसके बाद जोर-जबरदस्ती के दम पर इन प्लॉट पर कब्जा कर लिया जाता है। इसके लिए आपको किसी सबूत की जरुरत भी नहीं, ये खेल खुलेआम चलता है। पटना समेत कई जिलों में लगातार ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। लब्बोलुआब ये कि इस माफिया की सेटिंग विभाग में भी होती है।
केके पाठक क्या करेंगे
IAS केके पाठक शुरू से कानून के साथ चलने वाले अफसर माने जाते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि अगर एक बार कोई फैसला कर लिया तो ये उससे पीछे नहीं हटते, भले ही दबाव कितना भी बड़ा क्यों न हो। ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत जमीन के दलालों और भू माफिया को होने वाली है। यूं समझिए कि केके पाठक को दफ्तर में घुसते ही ये पता चल जाता है कि सिस्टम में छेद कहां है। ऐसे छेदों को भरने में केके पाठक एक्सपर्ट माने जाते हैं। जाहिर है कि भूमि राजस्व विभाग की कमान संभालते ही केके पाठक सबसे पहले सिस्टम के उन छेदों को भरेंगे जहां से भू माफिया को घुसने का मौका मिलता है।
बालू माफिया पर कसी जा सकती है नकेल
झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद से ही राज्य में रेत यानि बालू को पीला सोना कहा जाने लगा। इस रेत के दम पर कई खनन माफियाओं ने अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया। अब तो हाल ये है कि ऐसे माफिया पुलिस पर भी हमला करने से गुरेज नहीं करते। अभी एक दिन पहले ही गुरुवार-शुक्रवार की देर रात नवादा में बालू माफिया के एक ट्रैक्टर ने दारोगा को रौंद दिया। हालांकि खनन विभाग भूमि सुधार और राजस्व विभाग से अलग है। लेकिन इतना तय मानिए कि एक बार केके पाठक बालू माफिया पर नकेल कसने पर आमादा हुए तो माफिया तो नपेंगे ही नपेंगे, इनका साथ देने वाले खनन विभाग के अफसरों कर्मचारियों पर भी कानूनी कार्रवाई कराने से केके पाठक पीछे नहीं हटेंगे।
Publisher & Editor-in-Chief