छपरा
Chhapra Dussehra Puja: सुरक्षा के बिना नहीं सजेगी भक्ति की महफ़िल: पंडाल समितियों को अलर्ट
पंडालों में अग्निशमन इंतज़ाम अनिवार्य

छपरा। सारण जिला में दुर्गा पूजा का आयोजन हर वर्ष बड़े उत्साह और धूमधाम से होता है। भव्य पंडालों और सजावट से सजे इस महोत्सव में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। भीड़ और आतिशबाजी के बीच जरा सी असावधानी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसी को देखते हुए जिला अग्निशमन पदाधिकारी, सारण ने सभी पूजा समितियों को भारतीय मानक ब्यूरो (आईएस 8758-1993) के अनुरूप पंडाल निर्माण और अग्नि सुरक्षा के निर्देश दिए हैं।
क्या करें – सावधानियां और जरूरी इंतज़ाम
- पंडाल का निर्माण केवल फायर रिटार्डेंट सोल्यूशन से उपचारित सूती कपड़े से कराएं।
- पंडाल परिसर में अग्निरोधी घोल और अग्निशामक यंत्र (प्रत्येक 100 वर्ग मीटर पर 9 लीटर क्षमता वाला) अनिवार्य रूप से रखें।
- पंडाल रेलवे लाइन, बिजली सब-स्टेशन, चिमनी या भट्ठे से कम से कम 15 मीटर की दूरी पर बनना चाहिए।
- चारों ओर 4-5 मीटर खुला स्थान अवश्य छोड़ें और पंडाल में कम-से-कम तीन द्वार रखें (एक मुख्य, दो पार्श्व)।
- प्रत्येक पंडाल में अलग से फ्यूज सर्किट ब्रेकर लगाएं और बिजली की तारों को पीवीसी पाइप से गुजारें।
- बिजली कटने पर स्पार्कलेस लाइट का प्रयोग करें।
- आरती, दिया और अगरबत्ती सावधानीपूर्वक और सुरक्षित स्थान पर जलाएं, एक व्यक्ति को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी दें।
- अस्थायी रसोई पंडाल से कम-से-कम 200 मीटर दूर बनवाएं।
- हवन कुण्ड के पास 1000 लीटर क्षमता वाले 4 ड्रम पानी, बाल्टी और मग रखें।
- स्थानीय अग्निशमन केंद्र का टेलीफोन नंबर पंडाल परिसर में प्रदर्शित करें।
- रावण दहन खुले और सुरक्षित मैदान में करें और सुरक्षा घेरा अवश्य बनाएं।
क्या न करें – बचाव के लिए सख्त मनाही
- पंडाल की ऊंचाई 3 मीटर से कम न हो।
- सिंथेटिक कपड़े या रस्सी का प्रयोग न करें।
- बिजली की तारें खुली न छोड़ें और न ही बिजली की लाइन के नीचे पंडाल लगाएं।
- पंडाल के भीतर मोमबत्ती, दीया या हैलोजन लाइट का प्रयोग न करें।
- पंडाल परिसर में धूम्रपान पूरी तरह वर्जित है।
- पंडाल के भीतर हवन न करें; यदि जरूरी हो तो बाहर खुले सुरक्षित स्थान पर ही करें।
प्रशासन का संदेश
जिला अग्निशमन पदाधिकारी ने कहा कि पूजा समितियों की जिम्मेदारी है कि वे श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। छोटे से छोटे पंडाल में भी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए, ताकि उत्सव आनंद और श्रद्धा के साथ सुरक्षित माहौल में संपन्न हो सके।