Railway Updateदेश

Railway Project: देश का सबसे कठिन USBRL रेल परियोजना पूरी, 1836.19 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण

घाटी की लाइफलाइन बनी USBRL, अब हर मौसम में चलेगी रेल

रेलवे डेस्क। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री  अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना, तकनीकी दृष्टि से भारत की सबसे जटिल रेल परियोजनाओं में से एक रही है। बावजूद इसके, इस परियोजना ने न केवल वैश्विक सुरक्षा मानकों का पालन किया, बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी की रक्षा और स्थानीय विकास को भी प्राथमिकता दी।

70KM माइलेज के साथ गरीबों की मसीहा बनी Honda Shine 100 DX की टिकाऊ और दमदार परफॉर्मेंस वाली बाइक

देश का गौरव बना चिनाब पुल

यूएसबीआरएल परियोजना में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाया गया है। यह पुल 1315 मीटर लंबा है, इसका आर्च स्पान 467 मीटर और नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है। इसी परियोजना के अंतर्गत अंजी खड्ड पर भारतीय रेलवे का पहला केबल-स्टेड पुल भी तैयार किया गया है, जो नदी तल से 331 मीटर ऊंचा है।

272 किलोमीटर की जीवनरेखा

USBRL परियोजना की कुल लंबाई 272 किलोमीटर है, जो उधमपुर, रियासी, रामबन, श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम और बारामूला जिलों को जोड़ती है। इस परियोजना के पूरा होने से घाटी को शेष भारत के साथ सभी मौसमों में सुलभ, सुरक्षित और तेज रेल संपर्क मिल गया है।

advertisement

Rail Line Project: छपरा ग्रामीण से कटिहार तक 8600 करोड़ की लागत से 311KM लंबी तीसरी और चौथी रेल लाइन का होगा निर्माण

स्थानीय विकास में बड़ा योगदान

परियोजना के दौरान 215 किलोमीटर से अधिक सड़कों और 320 छोटे पुलों का निर्माण हुआ, जिससे स्थानीय संपर्क में बड़ा सुधार हुआ है। इससे क्षेत्र में 5 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजित हुआ।

पर्यावरणीय और सुरक्षा मानकों पर विशेष ध्यान

परियोजना के दौरान सभी सुरंगों में यांत्रिक वेंटिलेशन सिस्टम, अग्निशमन यंत्र, और निकास सुरंगों जैसी सुरक्षा प्रणालियाँ स्थापित की गईं। कुल 66 किलोमीटर की निकास सुरंगें बनाई गईं हैं।

हिमालयी पारिस्थितिकी को संरक्षित रखने हेतु पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के तहत ढलान स्थिरीकरण योजनाएं, मृदा अपरदन की रोकथाम, और वृक्षारोपण गतिविधियाँ चलाई गईं। प्राकृतिक जल स्रोतों के बाधित होने की स्थिति में वैकल्पिक जल स्रोत भी प्रदान किए गए।

वैश्विक मानकों के अनुरूप कार्यान्वयन

परियोजना में IIT दिल्ली, भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर, और NEERI जैसे अग्रणी संस्थानों के तकनीकी मार्गदर्शन में कार्य हुआ। परियोजना की डिजाइन और सुरक्षा की स्वतंत्र जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ फर्मों को नियुक्त किया गया।

पर्यावरण संरक्षण के विशेष प्रयास

परियोजना के निर्माण से उत्पन्न मलबे के प्रबंधन हेतु अवसादन टैंक बनाए गए। सभी सुरंगों में वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए सेंसर लगाए गए हैं और ओवरहेड कंडक्टर प्रणाली द्वारा पूरी रेल लाइन को विद्युतीकृत किया गया है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी।

भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता और संवेदनशीलता

परियोजना हेतु कुल 1836.19 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया, जिसमें 1559.48 हेक्टेयर निजी और 276.71 हेक्टेयर सरकारी भूमि शामिल है। इसके लिए 816.21 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में प्रभावितों को दिए गए। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1990 के अनुसार संचालित हुई।

यूएसबीआरएल परियोजना न केवल भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक है, बल्कि यह स्थानीय विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समावेशन का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। जम्मू-कश्मीर को अखिल भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली यह लाइफलाइन, आने वाले वर्षों में पर्यटन, व्यापार और रोज़गार के लिए नए अवसरों का द्वार खोलने वाली है।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close